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Posted at: Feb 20 2019 9:33PM
बिहार। बिहार के दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में आज हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष डॉ. नामवर सिंह के निधन पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया। शोक सभा का आरंभ नामवर सिंह की तस्वीर पर पुष्पांजलि से हुआ। हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि डॉ. सिंह हिंदी आलोचना की परंपरा में पंडित रामचंद्र शुक्ल, पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी और डॉ. रामविलास शर्मा की पंक्ति में खड़े दिखते हैं। उन्होंने आलोचना में साहित्यिक-सौष्ठव का समावेश किया है।
आलोचना में रचना का आस्वाद उत्पन्न करने वाले डॉ नामवर सिंह ने बड़ी समर्थ और सक्षम पीढ़ी का निर्माण किया है। साहित्यिक गतिविधियों के केंद्र में रहने वाले इस आचार्य का लेखन पारसमणि के समान था। वहीं, कार्यक्रम में अतिथि के रूप में आये बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह ने नामवर सिंह की साहित्यिक निष्ठा की सराहना की और कहा कि मार्क्सवादी आलोचना के सशक्त हस्ताक्षर होने के अलावा वे एक जिंदादिल कवि भी थे। उनकी कविता की संवेदना गहरी थी, जिसके बल पर उन्होंने नवीन साहित्यिक प्रवृत्तियों की मर्मी समालोचना की। हिंदी में कथालोचना का मार्ग प्रशस्त करने का श्रेय भी उन्हें ही है। उन्होंने हिंदी साहित्य के इतिहास- लेखन के लिए जितने गहरे सूत्र दिए हैं, उनसे एक समर्थ साहित्येतिहास रचा जा सकता है। डॉ नामवर सिंह में अपेक्षित और अनपेक्षित को परखने की अद्भुत कला थी, जिसके बल पर उन्होंने ंिहदी उपन्यास के विशिष्ट मॉडल को प्रकट करना चाहा था।वे किवदन्ति पुरुष भी थे और लीजेंड भी। इस अवसर पर पूर्व मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. रामचंद्र ठाकुर, डॉ. विजय कुमार, डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सुमन एवं डॉ आनंद प्रकाश गुप्ता ने भी नामवर जी के प्रति अपने-अपने भावोच्छवास तथा उद्गार व्यक्त किए। सभा के अंत में एक मिनट का मौन रखकर दिवंगत आलोचना के शिखर पुरुष के प्रति सम्मान व्यक्त किया गया।