Saturday, 20 April, 2024
dabang dunia

हेल्‍थ

ज्यादा पसीना आता है सावधान हो जाएं

Posted at: Mar 16 2019 2:06AM
thumb

गर्मी में सामान्य पसीना आना तो ठीक है, लेकिन अधिक पसीना आना और सर्दी में भी पसीना आना एक समस्या हो सकती है। यह समस्या कई बार आपको दुरुगंध का शिकार बना कर आपको असहज कर सकती है। इस लक्षण को हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। इससे बचने के उपाय बता रहे हैं त्वचा विशेषज्ञ डॉ. सिमल सोइन
 
सीना लगातार आए तो शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह की असहजता पैदा हो सकती है। अत्यधिक पसीने से जब हाथ, पैर  और बगलें  तर हो जाती हैं तो इस स्थिति को प्राइमरी या फोकल हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस से 2-3 प्रतिशत आबादी प्रभावित है, लेकिन इससे पीड़ित 40 प्रतिशत से भी कम व्यक्ति ही डॉक्टरी सलाह लेते हैं। इसके ज्यादातर मामलों में किसी कारण का पता नहीं चल पाता। हो सकता है कि यह समस्या परिवार में पहले से चली आ रही हो। यदि अत्यधिक पसीने की शिकायत किसी डॉक्टरी स्थिति के कारण होती है तो इसे सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। पसीना पूरे शरीर से भी निकल सकता है या फिर यह किसी खास स्थान से भी आ सकता है। दरअसल, हाइपरहाइड्रोसिस से पीड़ित व्यक्तियों को मौसम ठंडा रहने या उनके आराम करने के दौरान भी पसीना आ सकता है।
 
बचने के उपाय
प्रभावित व्यक्ति बोटॉक्स के नाम से मशहूर बोटुलिनम टॉक्सिन टाइप ए का कांख में इस्तेमाल करते हुए पसीने की शिकायत से बच सकते हैं। यह उसके अतिसक्रिय पसीना ग्रंथि की तंत्रिकाओं पर काम करते हुए उन्हें शांत करता है, जिससे पसीना आने की रफ्तार बहुत हद तक कम हो जाती है। 
 
बोटॉक्स भी हो सकता है इलाज
बाजुओं से आने वाले पसीने, जिसे प्राइमरी एक्सिलरी हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है, के इलाज के लिए बोटॉक्स को एफडीए से मंजूरी मिली हुई है। कम मात्र में विशुद्घ बोटुलिनम टॉक्सिन का इंजेक्शन बाजुओं में लगाने से पसीने के लिए जिम्मेदार तंत्रिकाएं अस्थायी रूप से अवरुद्घ हो जाती हैं। एक्सिलरी हाइपरहाइड्रोसिस की स्थिति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ विकल्प है, जिससे चार-महीने तक राहत मिल जाती है और शरीर की दुरुगंध से भी निजात मिल जाती है। 
 
ललाट या चेहरे पर अत्यधिक पसीना आने जैसी फोकल हाइपरहाइड्रोसिस की स्थिति में मेसो बोटॉक्स सबसे अच्छा उपाय है। इसमें पसीने की रफ्तार कम करने के लिए त्वचा के संवेदनशील टिश्यू (डर्मिज) में बोटॉक्स के पतले घोल का इंजेक्शन लगाया जाता है।
 
अन्य उपाय
एंटीपर्सपिरेंट: अत्यधिक पसीने पर काबू पाने के लिए तेज एंटी-पर्सपिरेंट का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो पसीने की नलिकाओं को अवरुद्घ कर देते हैं। बाजुओं में पसीने के शुरुआती इलाज के लिए 10 से 20 प्रतिशत अल्युमीनियम क्लोराइड हेक्साहाइड्रेट की मात्र वाले उत्पादों का इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ मरीजों को अल्युमीनियम क्लोराइड की अत्यधिक मात्र वाले उत्पादों का इस्तेमाल करने की भी सलाह दी जा सकती है। ये उत्पाद प्रभावित हिस्सों में रात के वक्त इस्तेमाल किए जा सकते हैं। एंटीपर्सपिरेंट से त्वचा में खुजलाहट हो सकती है। इसकी अधिकता कपड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है। 
 
याद रखें: डियोडरेंट से पसीना रुकता नहीं है, बल्कि शरीर की दुरुगंध कम होती है। 
दवाएं: ग्लाइकॉपीरोलेट एरोबिनुल, रोबिनुल-फोर्ट जैसी एंटीकोलिनर्जिक दवाएं पसीने की ग्रंथियों को सक्रिय रहने से रोकती हैं। हालांकि कुछ मरीजों पर असरकारी रहने के बावजूद इन दवाओं के असर का अध्ययन नहीं किया गया है। इसके दुष्परिणाम में ड्राई माउथ, चक्कर तथा पेशाब संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
 
एंडोस्कोपिक थोरेसिस सिंपैथेक्टोमी: गंभीर मामलों में सिंपैथेक्टोमी नामक न्यूनतम शल्यक्रिया पद्घति अपनाने की सलाह तब दी जाती है, जब अन्य उपाय विफल हो जाते हैं। यह उपाय उन मरीजों पर आजमाया जाता है, जिनकी हथेलियों पर सामान्य से ज्यादा पसीना आता है। इसका इस्तेमाल चेहरे पर अत्यधिक पसीना आने की स्थिति में भी किया जा सकता है।