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मध्य प्रदेश

भिक्षावृत्ति एवं बालश्रम में लगे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की तैयारी

Posted at: Mar 25 2019 1:45AM
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शिवपुरी। शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है, उसे यह अधिकार दिलाना शासन एवं समाज दोनों का कर्तव्य है। बच्चों का भिक्षावृत्ति करना समाज के लिए एक कलंक है। भिक्षावृत्ति में संलग्न होकर बच्चे शिक्षा और संस्कारों से दूर होते जा रहे हैं। अनेक परिवारों के बच्चे देखरेख के अभाव में भिक्षावृत्ति एवं अन्य अशोभनीय कार्यों में लिप्त होकर शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।  
 
बच्चों को भिक्षा की नहीं शिक्षा की जरूरत होती है। बच्चों से भिक्षावृत्ति कराना दंडनीय अपराध है। यह बच्चों के दैहिक शोषण की श्रेणी में आता है। बच्चों की देखभाल एवं सुरक्षा कानून 2015 की धारा 76 में बच्चों से भिक्षावृत्ति कराना एवं अन्य अशोभनीय कार्यों में लिप्त करना दण्डनीय अपराध माना गया है। बाल संरक्षण अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा ने बताया कि कुछ नशा करने वाले एवं आलसी प्रकृति के परिजन बच्चों पर दबाव डालकर भिक्षावृत्ति करने को मजबूर करते हैं। इस कारण बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। अभियान चलाकर ऐसे बच्चों को चिन्हित करेंगे अगर परिजनों या किसी गिरोह का बच्चों से भिक्षावृत्ति कराने में दबाव जैसा आचरण दिखाई देगा तो कठोर कानूनी कार्रवाई होगी। इस बुराई को समाज से मिटाने के लिए जन सहयोग जरूरी है।
 
बच्चों को भीख मांगते देखकर दया भाव से उसे दो-पांच रुपये देने वालों से मेरा अनुरोध है कि बच्चा भूखा हो तो उसे भोजन करा दीजिये, पर उसे पैसे कदापि न दें। यदि आप उसकी स्थिति को सुधारना चाहते हैं तो उसे शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करें या चाइल्ड लाइन नम्बर 1098 पर सूचित करें। राघवेन्द्र शर्मा ने बताया कि कानून में बच्चों से भिक्षावृत्ति कराना दंडनीय अपराध माना गया है इसके लिए 5 साल तक की सजा एवं एक लाख रुपए तक के अर्थ दंड का प्रावधान किया गया है।
 
यदि कोई व्यक्ति भिक्षावृत्ति की मंशा से उनका अंगोच्छेदन करता है या विकलांग बनाता है तो उसे 10 वर्ष तक की सजा एवं 5 लाख रुपए तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा और बच्चों को परिजनों के संरक्षण से मुक्त कराकर बालग्रह में प्रवेश दिया जाएगा। पुलिस अधीक्षक राजेश हिंगणकर ने भिक्षावृत्ति एवं अन्य अशोभनीय कार्यों में लिप्त बच्चों को शिक्षा से जोड़ने अभियान चलाने के निर्देश दिए थे। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर विशेष किशोर पुलिस इकाई, जिला बाल संरक्षण इकाई, श्रम विभाग एवं चाइल्ड लाइन द्वारा लगातार अभियान चलाने की कार्य योजना तैयार की गई है।
 
प्रत्येक बच्चे का डाटा बेस तैयार होगा
बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने बताया कि अभियान के दौरान सड़कों पर कबाड़ बीनने वाले, आवारा घूमने वाले, तमाशा करने वाले, भिक्षावृत्ति करने वाले एवं बालश्रम में लिप्त बच्चों को चिन्हित कर एक डाटा बेस तैयार किया जाएगा। जिसमें उसके परिवार की आर्थिक, सामाजिक एवं स्वास्थ्य संबंधी संपूर्ण विवरण अंकित होगा। उसके बाद बाल संरक्षण एवं चाइल्ड लाइन के परामर्शदाताओं के द्वारा परिजनों एवं बच्चों की काउंसलिंग की जाकर बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराया जाएगा। प्रवेश के बाद बच्चों की निगरानी की जाएगी और उन्हें समग्र पोर्टल से जोड़ा जाएगा। चिन्हित बच्चों के परिजन यदि समझाने के बाद भी बच्चों से भिक्षावत्ति कराते हैं, तो परिजनों के विरुद्ध किशोर न्याय बालकों की देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम के तहत आपराधिक प्रकरण पंजीकृत कराया जाएगा।