Wednesday, 24 April, 2024
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ज्योतिष

हनुमान जयंती पर करें दीपदान

Posted at: Apr 19 2019 2:16AM
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हनुमत साधना का रहस्य है, उनके निमित्त किया जानेवाला दीपदान। इसे हनुमान जयंती के अवसर पर अथवा किसी भी मंगलवार अथवा शनिवार को अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए एवं हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए किया जा सकता है। शास्त्रों में इस प्रकार किए गए दीपदान का महिमामंडन किया गया है तथा मनुष्य को इसके द्वारा चतुर्विध पुरुषार्थ की प्राप्तियां तक बताई गई हैं। 
देव प्रतिमा के आगे, प्रमोद के अवसर पर, ग्रहों के निमित्त, भूतों के निमित्त, घर में अथवा चौराहे पर इन 6 स्थलों में हनुमान जी का नाम स्मरण करते हुए दीप दान करना चाहिए। शिवलिंग के समीप या शालिग्राम शिला के निकट हनुमान जी के लिए किया हुआ दीपदान सभी प्रकार के भोग और लक्ष्मी प्राप्ति हेतु माना गया है। अपने जीवन के विभिन्न बाधाओं एवं महान संकटों को दूर करने के लिए श्री गणेश प्रतिमा के निकट हनुमानजी के उद्देश्य से दीप दान करें। भयंकर रोग उपस्थित होने पर हनुमान जी के विग्रह के समीप उन्हीं के निमित्त दीप दान करें। समस्त प्रकार की व्याधि नाश एवं दुष्ट ग्रहों की शांति के लिए चौराहे पर हनुमान जी के निमित्त दीप दान करें। 
कारावास से मुक्ति पाने के लिए कारागार के समीर हनुमान जी के निमित्त दीप दान करें, ऐसा शास्त्रीय विधान है। 
संपूर्ण कार्यों की सिद्धि के लिए पीपल और वट के मूल भाग में दीप दान किया जाना चाहिए। 
विभिन्न बाधाओं के निवारण हेतु राज्य द्वार पर हनुमान जी के निमित्त दीप दान करें। गेहूं ,तिल ,उड़द ,मूंग और चावल- यह पांच धान्य माने गए हैं, हनुमान जी के लिए सदा इन्हीं पदार्थों से बने हुए दीप का प्रयोग किया जाना चाहिए। अन्य भेद से इनमें से किसी भी एक आटे का प्रयोग किया जा सकता है। इन पदार्थों से बना दीपदान समस्त मनोकामनाओं को सिद्ध करने वाला होता है।दीपदान में प्रयुक्त चमेली का तेल संपूर्ण मनोरथों की सिद्धि हेतु, सरसों का तेल रोग नाश हेतु, तिल का तेल ग्रह शांति हेतु एवं गाय से निर्मित घी का दीपदान में प्रयोग समस्त कामनाओं को सिद्ध करता है। दीपदान में प्रयोग की जाने वाली बत्ती लाल सूत अथवा धागे की होनी चाहिए। दीपक चारमुखी होना चाहिए।
गोबर से लिपी हुई भूमि पर एकाग्रचित होकर अष्टदल कमल बनाएं तथा उसके मध्य में दीपक रखें। उत्तरा भिमुख होकर हनुमान जी का पंचोपचार पूजन करें तथा यथाशक्ति हनुमानजी के मंत्रों का जाप अथवा हनुमत कवच का पाठ करें। तत्पश्चात हनुमान जी से प्रार्थना करें कि उत्तराभिमुख अर्पित किए हुए इस श्रेष्ठ दीपक से प्रसन्न होकर आप मेरे ऊपर कृपा करें तथा मेरे समस्त मनोरथो को पूर्ण करें।
महिलाओं के लिए वर्जित नहीं हनुमत पूजा
हिंदू समाज में  प्रायः यह कहते सुना जाता है की स्त्रियों को हनुमान जी की पूजा उपासना नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि हनुमानजी बाल ब्रहमचारी हैं तथा एक बाल  ब्रहमचारी  को स्त्री दर्शन एवं स्पर्श से दूर रहना चाहिए। यही इस भ्रांति का आधार है जो कि निराधार है। प्रथम तो यह कि हनुमान जी से संबंधित पुराणों एवं शास्त्रों में इस बात का कहीं उल्लेख नहीं मिलता है यह हनुमत उपासना स्त्रियों के लिए नहीं है। किसी भी साधना उपासना में भाव की प्रधानता मानी गई है , विशेषत: हनुमान जी की पूजा पद्धति में। शास्त्रीय प्रमाण है कि हनुमान जी ने सीता को मातृ स्वरुप माना था तथा उन्हें कई प्रकार के संकटों से भी उबारा था। इसी को प्रमाण मानते हुए स्त्रियों को मातृ स्वरूपा होकर हनुमान जी की संपूर्ण प्रकार की पूजा उपासना करनी चाहिए।निः संदेह इस भाव से हनुमत प्रसन्नता भी होंगी तथा समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति भी ।
 
ज्योतिर्विद राजेश साहनी