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सुशेन मोहन की जमानत याचिका खारिज

Posted at: Apr 20 2019 8:50PM
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नई दिल्ली। दिल्ली की एक विशेष अदालत ने करोड़ों रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले से जुड़े धन शोधन  मामले में बिचौलिए सुशेन मोहन गुप्ता की जमानत याचिका शनिवार को खारिज कर दी। सुशेन को इस वर्ष 26 मार्च को दिल्ली में गिरफ्तार  किया था और उसे 20 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में रखा गया था। सुशेन के वकील ने छह अप्रैल को याचिका दायर की थी। अदालत ने याचिका पर फैसला 20 अप्रैल तक लिए  सुरक्षित कर लिया था। सुशेन के वकील ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो  की विशेष अदालत के समक्ष कहा कि उसके मुवक्किल ने जांच में पूरा साथ  दिया। उसे जब और जहां कहीं भी बुलाया गया, वह वहां गया।

उसने जांच एजेंसी के साथ पूरा सहयोग किया और उसके निर्देशों का पालन किया,अत: उसे जमानत पर रिहा किया जाये। प्रवर्तन निदेशालय  के वकील ने अदालत को अवगत कराया कि सुशेन ने साक्ष्य को मिटाने की पूरी कोशिश की पर वह ऐसा कर नहीं सका। उन्होंने सुशेन पर सरकारी गवाह राजीव सक्सेना को प्रभावित करने की कोशिश की। एक गवाह को पेश होने से रोकने के लिए वह दुबई तक गया। ईडी ने बतया कि राजीव सक्सेना से पेन ड्राइव के रूप में जो दो डायरियां बरामद की गयी थीं वे कथित रूप से सुशेन की हैं। सुशेन ने वर्ष 2016 गलत सूचना दी थी कि उसे मॉरीशस स्थित इंटरस्टेलर टेक्नॉलॉजीस' कंपनी के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि अगस्ता वेस्टलैंड ने उस कंपनी को रिश्वत की रकम दी थी लेकिन जांच में मालूम चला कि सुशेन ने ही इस कंपनी में रुपये जमा करने की सलाह दी थी। अदालत ने दो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुशेन की जमानत याचिका नामंजूर कर दी।

करीब  3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड मामले में ईडी ने सुशेन को सुशेन धन शोधन रोकथाम कानून के तहत  गिरफ्तार किया था। इस मामले में अधिवक्ता गौतम खेतान और  ब्रिटिश बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। ईडी अधिकारियों ने बताया था कि हाल में संयुक्त अरब अमीरात  से  प्रत्यर्पित कर लाए गए राजीव सक्सेना से पूछताछ में सुशेन की  इस मामले में संलिप्तता का पता चला था। राजीव सक्सेना इस मामले में सरकारी  गवाह बन गया है। पूछताछ में उसने बताया कि 'इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीस' नामक  कंपनी को अगस्ता वेस्टलैंड ने रिश्वत की रकम दी थी। ईडी का आरोप है कि खेतान की मिलीभगत से सुशेन ने 'इंटरस्टेलर  टेक्नोलॉजीस' के खातों में आई रिश्वत की रकम को विभिन्न देशों में स्थित  कंपनियों के माध्यम से आगे भेजा गया  था।