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डिप्रेशन क्‍या है कैसे करता है प्रभावित

Posted at: Jul 14 2019 12:42AM
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एक पुरानी कहावत है ‘चिंता चिता के समान होती है’। डिप्रेशन या तनाव का रूप लेते हुए यह इंसान को ना केवल मानसिक, बल्कि शारीरिक रूप से भी कमजोर बना देती है  और व्यक्ति की कार्यक्षमता को बुरी तरह प्रभावित करती है। कई बार यह मानसिक बीमारी का रूप ले लेती है और इंसान पागलपन की स्थिति तक भी पहुंच सकता है। 
क्या करता है डिप्रेशन
निराश ही तो है, कुछ दिन में अपने-आप मन बहल जाएगा। सब ठीक हो जाएगा...। हम ऐसा ही तो सोचते हैं, जब कुछ दिनों से घर-परिवार में हमें कोई चुप-चुप, अलसाया सा, चिड़चिड़ाया सा दिखता है। हम वक्त को डॉक्टर मान कर निश्चिंत हो जाते हैं। शायद हम भी नहीं जानते कि ऐसे में क्या करना चाहिए। पता ही नहीं होता कि वह व्यक्ति मानसिक तनाव की उस दहलीज पर है, जहां से तनाव निराशा और फिर अवसाद की जहरीली बेल में तब्दील हो सकता है। फिर ये जहरीली बेल ना सिर्फ उस शिकार मन को खोखला कर देती है, बल्कि उसके तन पर भी असर करने लगती है। अगर इसे जड़ से ना उखाड़ा जाए तो जानलेवा भी हो सकती है।
डिप्रेशन के लक्षण 
सबसे पहले तो यह समझने की जरूरत कि जो लोग डिप्रेशन में होते हैं उन्हें असल में पता ही नहीं चल पाता कि वे डिप्रेशन में हैं। ऐसे में जरूरी है कि पीड़ित व्यक्ति के करीबी उसमें डिप्रेशन के लक्षणों की पहचान करें और तुरंत मदद को आगे आएं। 
लगातर शांत रहना और डेली लाइफ की किसी भी ऐक्टिविटी में रुचि न लेना। दोस्त, फैमिली और सोसाइटी से भी कट जाना। 
ज्यादा चिंता करना, जीवन के प्रति नकारात्मक नजरिया रखना, बात-बात पर गुस्सा करना, दुखी रहना। 
नींद ज्यादा आना या बहुत कम आना। 
खुद को कोसते रहना और खुशी के मौकों पर भी दुखी ही रहना। हमेशा नेगेटिव बातें करना और किसी से भी मिलने से बचना। 
खाना ज्यादा खाना या सामान्य से कम खाना और चिढ़कर या झल्लाकर जवाब देना। 
अगर वजन अचानक बढ़ रहा है या तेजी से कम हो रहा है तो यह भी डिप्रेशन का एक लक्षण हो सकता है। इसके अलावा हमेशा थका-सा महसूस करना भी डिप्रेशन की निशानी है।