प्रदेश
Posted at: Sep 18 2019 3:43PM
हल्द्वानी। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने एक सितम्बर को जारी हुए नवीन आरक्षण रोस्टर में अनुसूचित जाति को पहले क्रम से हटाकर छठे क्रम में रखने के उत्तराखण्ड सरकार के निर्णय को दलित विरोधी बताते हुए तत्काल रोस्टर को वापस लेने की मांग की है। टम्टा ने कहा कि केन्द्र सरकार में भी इसी प्रकार का आरक्षण रोस्टर अस्तित्व में होने के कारण केन्द्रीय सेवाओं में अनुसूचित जाति के अधिकारियों तथा कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है और स्थिति यह है कि वर्तमान में केन्द्र सरकार में सचिव पद पर अनुसूचित जाति वर्ग का कोई भी अधिकारी नहीं है।
राज्यसभा सांसद ने बुधवार को यूनीवार्ता से बातचीत में कहा कि पृथक राज्य बनने के बाद भी उत्तर प्रदेश के तमाम अधिनियम यहां अस्तित्व में रहे हैं और उसी आधार पर जो आरक्षण रोस्टर उत्तर प्रदेश में लागू था वही उत्तराखंड में भी लागू रहा। इस आधार पर सीधी भर्ती में पहला पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होता था और इस व्यवस्था में 2019 तक कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अगस्त में जब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को राज्य में आरक्षण दिया तब भी सरकार द्वारा बिना संशोधन के रोस्टर निकाला गया।
लेकिन अचानक ही राज्य सरकार ने आरक्षण रोस्टर में संशोधन करते हुए अनुसूचित जाति को पहले स्थान से हटाकर छठे स्थान पर कर दिया जबकि उत्तर प्रदेश सहित देश के अधिकांश राज्यों में अनुसूचित जाति को आरक्षण रोस्टर में प्रथम स्थान प्राप्त है। टम्टा ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से नए आरक्षण रोस्टर को वापस लेने सहित पदोन्नति में आरक्षण देने की भी मांग की है।