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आईसीयू पर ट्राई का परामर्श पत्र पीएम के सपने को चकनाचूर करेगा : जियो

Posted at: Oct 20 2019 1:15PM
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नई दिल्ली। मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने भारतीय दूरसंचार नियामक संस्था (ट्राई) के इंटरकनेक्टड यूजर्स चार्ज (आईयूसी) परामर्श पत्र को मनमाना, प्रौद्योगिकी और गरीब विरोधी बताते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को चकनाचूर कर देगा। जियो ने रविवार को कहा आईसीयू को खत्म करने की सीमा के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ मनमानी, प्रौद्योगिकी विरोधी, कानूनी रूप से कमजोर, अनुचित और गरीब विरोधी है। जियो ने ट्राई पर निशाना साधते हुए कहा कि आईसीयू पर नियामक संस्था के मनाने रवैये से उसकी विश्वसनीयता संदेह के दायरे में है। इससे दूर संचार क्षेत्र के निवेशकों के भरोसे पर कुठाराघात होगा। 
जियो ने कहा है कि आईयूसी की वजह से वह अन्य दूर संचार कंपनियों को 13500 रुपये का भुगतान कर चुकी है। रिलायंस जियो ने कहा कि प्रधानमंत्री के विजÞन के मुताबिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर देश के हर नागरिक का हक है, किन्तु आईयूसी को बनाए रखने की इच्छा प्रधानमंत्री के इस विजÞन को चकनाचूर कर दिया है। कुछ टेलीकॉम आॅपरेटर चाहते है कि पुराना पड़ चुका 2जी का नेटवर्क सदा बना रहे और देश के 47 करोड़ से ज्यादा ग्राहक जो  2जी नेटवर्क से जुड़े हैं डिजिटल क्रांति के लाभों से वंचित रह जाएं।
कंसल्टेशन पेपर जारी कर ट्राई इन  टेलीकॉम ऑपरेटरों के निहित स्वार्थ को बचाए रखना चाहती है। ट्राई को अपने जबाव में रिलायंस जियो  ने कहा कि कुछ ऑपरेटरों के पास 2जी नेटवर्क से 4जी में अपग्रेड ना करने के अनेकों बहाने हैं। लगता है वे जानबूझ कर ऐसा नहीं करना चाहते। वे अपने 2जी ग्राहकों का विभिन्न तरीकों से शोषण कर रहे हैं। ये ऑपरेटर 2जी ग्राहकों से वॉयस कॉंलिग के पैसे वसूलते हैं, जबकि जियो के 4जी नेटवर्क पर यह फ्री है।
खराब गुणवत्ता और ऊंची कीमतों के डेटा की वजह से यह 2ग्राहक डिजिटल सोसाइटी का हिस्सा भी नहीं बन पाते हैं। साथ ही प्रधानमंत्री के सपने ‘ईज ऑफ लिविंग’ यानी आराम से जीने के हक भी इससे बाधित होता है। आईयूसी पर ट्राई के कंसल्टेशन पेपर से उन ऑपरेटर्स को बल मिलेगा जो 2जी से 4जी में अपग्रेड करने में आनाकानी कर रहे हैं। आईयूसी को जारी रखने के पक्ष में तर्क दिया जा रहा है कि कुछ टेलीकॉम कंपनियों की वित्तिय हालात काबू में नही है।
इसलिए आईयूसी जारी रखना जरूरी है। रिलायंस जियो के मुताबिक इस तर्क में कोई दम नही है।  आईयूसी की रकम इतनी बड़ी नहीं होती कि कई हजार करोड़ की कंपनियों की वित्तीय हालात पर इसका कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़े। रिलायंस जियो का कहना है कि वित्तीय हालात का रोना रोने वाली कंपनिया इसे एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहीं हैं।
दरअसल वह नए निवेश से बचना और 2जी नेटवर्क को जारी रखना चाहती हैं। रिलायंस जियो ट्राई के 18 सितंबर को  आईयूसी जारी कंसल्टेशन पेपर का जबाव देते हुए कहा कि यह कंसल्टेशन पेपर जल्दबाजी में और बिना किसी सोच-विचार के जारी कर दिया गया है। ट्राई के ढुलमुल रवैये की वजह से अगर आईयूसी को समाप्त करने में देरी की गई तो यह फ्री वॉयस कॉलिंग व्यवस्था को खत्म कर देगा, जो ग्राहक के हक में नहीं होगा।