Friday, 29 March, 2024
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दिल्ली की अनधिकृत बस्तियों में महिलाओं के नाम से या संयुक्त रूप से होगी रजिस्ट्री

Posted at: Dec 5 2019 1:08AM
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नई दिल्ली। दिल्ली की 1700 से अधिक अनधिकृत बस्तियों को मान्यता और निवासियों को मालिकाना अधिकार देने संबंधी विधेयक पर बुधवार को संसद की मुहर लग गयी। राज्यसभा ने तीन घंटे तक चली चर्चा के बाद  ‘राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र  दिल्ली (अप्राधिकृत कॉलोनी निवासी  संपत्ति अधिकारी मान्यता) विधेयक, 2019’ को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा ने इसे पिछले सप्ताह अपनी मंजूरी दी थी।  आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने चर्चा का जवाब देते हुए  कहा कि यह विधेयक दिल्ली की 40 लाख की आबादी को राहत देगा। इससे लोगों को अपनी मकान और जमीन पर मालिकाना हक मिल सकेगा और वे इस पर ऋण आदि ले सकेंगे।
इसके अलावा इससे उनको बुनियादी सुविधायें भी उपलब्ध होंगी।  उन्होंने कहा कि अनधिकृत  बस्तियों का मान्यता देने के बाद संपत्ति की रजिस्ट्री महिला के नाम  से या महिला के साथ पुरुष के नाम से संयुक्त रूप से होगी। रजिस्ट्री के लिए मामूली शुल्क चुकाना होगा। इन भूखंडों  की रजिस्ट्री की प्रक्रिया 16 दिसंबर से शुरू हो जाएगी। सभी प्रक्रियायें ऑनलाइन होगीं। इससे पहले विधेयक पेश करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली झुग्गी बस्तियों में 20 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। इन लोगों के लिए विशेष योजना बनायी जा रही है।
ऐसी बस्तियों की संख्या 190 हैं जिसमें से 30 का सर्वे हो चुका है और 160 के सर्वे का काम चल रहा है। पुरी ने इस कदम को केन्द्र सरकार की मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति का  प्रमाण बताते हुए कहा कि यह कानून  अप्रैल मई में लाने की तैयारी शुरु हुई थी और वह भी तब जब दिल्ली सरकार ने  दिल्ली उच्चन्यायालय में कहा था कि कॉलोनियों को नियमित करने के पहले  डिजीटल मानचित्रण के लिए दो साल का समय लगेगा। उन्होंने  कहा कि कानून 1796 कॉलोनियों के बारे में है  जिन्हें 2008 में अनधिकृत के रूप में अधिसूचित किया था। यही इन कॉलोनियों  के बारे में अब तक का सबसे विस्तृत दस्तावेज है।
11 साल में कुछ नहीं किया  गया जबकि इन कॉलोनियों की जनसंख्या बढ़ गय उन्होंने कहा कि इन कॉलोनियों  में से 65 को इस विधेयक के दायरे में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि उनमें  संपन्न एवं समृद्ध लोग रहते हैं, उनके बारे में अलग से काम किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि सौ वर्ग गज के प्लॉट के लिए 1217 रुपए का कुल पंजीकरण शुल्क बहुत ही कम  अथवा मुफ्त जैसा ही है। केन्द्र सरकार इस  पंजीकरण शुल्क से केन्द्र सरकार के अधीन एक सामाजिक विकास कोष बनाएगी। खाली  जÞमीन पर आसान शर्तो एवं नियमों के साथ सामुदायिक केन्द्र पार्क आदि  विकसित किये जाएंगे। सांसद भी स्थानीय विकास निधि का प्रयोग कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में लोगों के अनधिकृत  कॉलोनियों में जÞमीन का मालिकाना हक और संपत्ति के पंजीकरण को सुलभ कराने  का सुधार लागू करने के लिए उन कॉलोनियों का डिजीटल मानचित्रण किया जाएगा।  इसके बाद नागरिक कल्याण संघों को उस डिजीटल मानचित्र को तुरंत भेजा जाएगा  और उनसे 15 दिन के भीतर कॉलोनियों के चारों कोनों के भौतिक चित्र खींच कर  पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। पोर्टल 16 दिसंबर से शुरू हो जाएगा।