Friday, 29 March, 2024
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आखिर क्यों करनी चाहिए शिवलिंग की आधी परिक्रमा? गलती से भी ना लगाएं पूरा चक्कर

Posted at: Jul 5 2020 9:03AM
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श्रावण मास यानी सावन का महीना 6 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। हिन्दू धर्म पंचांग में सावन के महीने को बेहद शुभ माना गया है क्योंकि भगवान शंकर की उपासना का यह सबसे उपयुक्त समय होता है। इस महीने सोमवार को भगवान शिव की पूजा की जाती है और शिवलिंग पर कोई चीजें भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अर्पण की जाती है। भक्त शिवलिंग की पूजा करने के बाद परिक्रमा लगाते हैं। ज्यादातर लोग शिवलिंग के भी चारों ओर घूमकर परिक्रमा पूर्ण करते हैं, लेकिन यह गलत है। कभी भी शिवलिंग की परिक्रमा इस तरह नहीं करनी चाहिए।

'अर्द्ध सोमसूत्रांतमित्यर्थ: शिव प्रदक्षिणीकुर्वन सोमसूत्र न लंघयेत इति वाचनान्तरात।'

शास्त्रों में लिखा है कि शिव पूजा के बाद जब भी शिवलिंग की परिक्रमा करें तो कभी भी चारों तरफ न घूमें, बल्कि आधी परिक्रमा करके व्यक्ति को वापस अपने स्थान पर लौट जाना चाहिए। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाईं ओर से शुरू कर जलाधारी तक जाकर फिर विपरीत दिशा में लौट जाना चाहिए।

शिवलिंग की आधी परिक्रमा इसलिए की जाती है क्योकिं शिवलिंग का जलाधारी या अरघा को ऊर्जा और शक्ति का भंडार माना जाता है। शिव के जलाधारी को लांघने से वीर्य या रज और इनसे जुड़ी शारीरिक क्रियाओं पर इस शक्तिशाली ऊर्जा का बुरा असर हो सकता है। इस से शरीर और मन पर भी बुरा असर पड़ता है। कई परिस्थितियों में अगर जलाधारी को लांघ भी दिया जाए तो वो गलत नहीं होता। जैसे तृण, काष्ठ, पत्ता, पत्थर, ईंट आदि से ढंके हुए जलाधारी का उल्लंघन करने से दोष नहीं लगता है। कभी भी घर में शिवलिंग नहीं रखना चाहिए इस से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे- सिर दर्द, जोडो में दर्द स्त्री रोग, मन अशांत, घरेलू झगड़े, आर्थिक अस्थिरता आदि।