Wednesday, 24 April, 2024
dabang dunia

लाइफ स्टाइल

कभी गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों की दोस्त थी कॉमिक्स

Posted at: May 22 2017 12:59PM
thumb

गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों का मनोरंजन और साथी बनने वाली कॉमिक्स की जगह अब टीवी कार्टून और वीडियो गेम ने ले ली है। कार्टून-वीडियो गेम्स ने कॉमिक्स की दुनिया का जादू कम कर दिया है। एक समय ऐसा भी था जब कॉमिक्स और कई बाल पत्रिकाएं बच्चों को सीख देने के साथ उनके मनोरंजन का जरिया हुआ करती थीं। सप्ताह में आने वाली कॉमिक्स का बच्चे बड़ी बेसब्री से इंतजार किया करते थे और पढ़कर उसके पात्रों की बातें एक-दूसरे को सुनाया करते थे। 80-90 के दशक में पैदा हुए हैं बच्चे तो कॉमिक्स के दीवाने थे, तब उनके लिए यही सुपर हीरो हुआ करते थे। 
विदेशी कॉमिक्स पात्रों के हिंदी में अनुवादित प्रकाशन से 1964 में हुई थी। तब ह्यद फैंटस बेल्ट के नाम से ली फॉक के प्रसिद्ध पात्र फैंटम पर कॉमिक्स का प्रकाशन हुआ था। 1966 में प्रथम हिंदी कॉमिक्स बेताल की मेखला प्रकाशित हुई। कॉमिक्स की दुनिया में 1971 में चाचा चौधरी का पदार्पण हुआ और इसके बाद पिंकी, बिल्लू, रमन जैसे कॉमिक्स किरदारों ने जन्म लिया। यह ऐसे किरदार थे जिन्होंने न सिर्फ बच्चों को अपना दीवाना बनाया बल्कि बड़ी उम्र के लोग भी इन्हें पढ़ते थे। साथ ही चाचा चौधरी जैसे अक्लमंद किरदार बच्चों के आदर्श थे। 
डायमंड कॉमिक्स के लंबू-मोटू, चाचा-भतीजा, मामा-भांजा जैसे नायक अस्सी के दशक में भारतीय कॉमिक्स बाजार पर छाए हुए थे। यह कॉमिक्स का ऐसा काल समय था जब हिंदी और अंग्रेजी के अलावा प्रांतीय भाषाओं में भी कॉमिक्स प्रकाशित हुए। आज बच्चे विदेशी कार्टून किरदारों, सुपर हीरो, स्पाइडर मैन, बैटमैन के दीवाने हैं। इन कार्टून किरदारों को दिखाने का मकसद महज बच्चों को हंसाना भर है। शिनचैन, डोरेमोन जैसे प्रसिद्ध कार्टून पात्रों को माता-पिता अधिक पसंद भी नहीं करते क्योंकि इन्हें देखकर बच्चे गुस्सैल और झगड़ालू बन रहे हैं।