भुवनेश्वर। खचाखच भरे कलिंगा स्टेडियम में दर्शकों के अपार समर्थन से ऊर्जा लेती भारतीय टीम ने रविवार को यहां फिटनेस समस्या से जूझ रहे जर्मनी को 2-1 से हराकर हॉकी विश्व लीग फाइनल में कांस्य पदक बरकरार रखा। भारत के लिए एसवी सुनील (21वां) और हरमनप्रीत सिंह (54वां) ने गोल किए, जबकि जर्मनी के लिए एकमात्र गोल मार्क एपेल ने किया, जो मूलत: गोलकीपर हैं, लेकिन सेंटर फारवर्ड खेलने को मजबूर थे। जर्मनी के खिलाड़ियों के फिटनेस समस्याओं के कारण उसे अपनी बेंच स्ट्रेंथ के साथ उतरना पड़ा।
भारत ने पिछली बार रायपुर में हुए टूर्नामेंट में भी कांसे का तमगा जीता था। बारिश से प्रभावित सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से एक गोल से हारने के बाद भारत ने रविवार को बेहतर प्रदर्शन किया। किस्मत ने भी जर्मन टीम का साथ नहीं दिया, जिसके लिए 11 खिलाड़ी भी मैदान पर उतारना मुश्किल हो गया था। उसके 4 खिलाड़ियों को सेमीफाइनल से पहले ही बुखार हो गया था। इस मैच में जर्मनी को सात पेनॉल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन वह एक को भी गोल में नहीं बदल सका। ग्रुप चरण में जर्मनी ने भारत को 2-0 से हराया था। केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की उपस्थिति में भारतीय टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया।
छह पेनॉल्टी कॉर्नर, लेकिन गोल नहीं
पहले हाफ में जर्मनी ने आक्रामक शुरुआत की और दोनों क्वार्टर मिलाकर छह पेनॉल्टी कॉर्नर हासिल किए, लेकिन गोल में नहीं बदल सकी। भारतीय गोलकीपर सूरज करकेरा को भी दाद देना होनी, जिन्होंने कई बेहतरीन शॉट बचाए। चौथे ही मिनट में मार्क एपेल ने कप्तान मैट्स ग्रामबुश को सर्कल के भीतर गेंद सौंपी, लेकिन उनके शॉट को सूरज ने बखूबी बचाया। जर्मनी को पहला पेनॉल्टी कॉर्नर 14वें मिनट में मिला, जिस पर निकलस ब्रून्स पहले और रिबाउंड शॉट पर भी गोल नहीं कर सके। इसके पांच मिनट बाद मिले दो पेनॉल्टी कॉर्नर भी बेकार गए। भारत ने जवाबी हमले पर मूव बनाया और सर्कल के भीतर गेंद लेकर अनुभवी स्ट्राइकर एस वी सुनील आगे निकले और इस बार उन्होंने गोल करने में कोई चूक नहीं की।