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मध्य प्रदेश

कड़कनाथ मुर्गे को लेकर आपस में भिड़े मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़

Posted at: Mar 19 2018 11:02AM
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भोपाल। लाजवाब स्वाद के लिए खास पहचान रखने वाले कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच विवाद का विषय बन गई  है। इस प्रजाति के मुर्गे के जीआई टैग यानी भौगोलिक संकेतक को लेकर ये दोनों ही राज्य अपना-अपना दावा पेश कर रहे हैं। इन दोनों पड़ोसी राज्यों ने इस काले पंख वाले मुर्गे की प्रजाति के लिए जीआई टैग प्राप्त करने के लिए चेन्नई स्थित भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय में आवेदन दिए हैं। मध्यप्रदेश का दावा है कि कड़कनाथ मुर्गे की उत्पत्ति प्रदेश के झाबुआ जिले में हुई है जबकि छत्तीसगढ़ का कहना है कि कड़कनाथ को प्रदेश के दंतेवाड़ा जिले में अनोखे तरीके से पाला जाता है और यहां उसका सरंक्षण और प्राकृतिक प्रजनन होता है। 
मप्र को टैग मिलने की उम्मीद
मध्यप्रदेश के पशुपालन विभाग के अतिरिक्त उप संचालक डॉ. भगवान मंघनानी ने बताया कि मध्यप्रदेश को कड़कनाथ मुर्गे के लिए संभवत: जीआई टैग मिल जाएगा। इस प्रजाति का मुख्य स्रोत राज्य का झाबुआ जिला है। इस मुर्गे के खून का रंग भी सामान्यत: काला होता है जबकि आम मुर्गे के खून का रंग लाल पाया जाता है। उन्होंने कहा कि झाबुआ जिले के आदिवासी इस प्रजाति के मुर्गों का प्रजनन कराते हैं। झाबुआ के ग्रामीण विकास ट्रस्ट ने इन आदिवासी परिवारों की ओर से 2012 में कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति के लिए जीआई टैग का आवेदन किया है।
छत्तीसगढ़ का भी दावा
छत्तीसगढ़ ने भी हाल ही में कड़कनाथ मुर्गे के जीआई टैग के लिए दावा किया है। ग्लोबल बिजननस इनक्यूबेटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष श्रीनिवास गोगिनेनी ने बताया कि कड़कनाथ को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में अनोखे तरीके से पाला जाता है और यहां उसका सरंक्षण और प्राकृतिक प्रजनन होता है। इस कंपनी को दंतेवाड़ा जिला प्रशासन जन-निजी भागीदारी मॉडल के तहत इलाके के आदिवासी लोगों की आजीविका सृजित करने में मदद करने के लिए लाया है। कड़कनाथ के मांस में आयरन और प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है जबकि कलेस्ट्रॉल की मात्रा काफी कम होती है।