Tuesday, 23 April, 2024
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उत्तर प्रदेश

''पिस्तौल और बम से नहीं आते इंकलाब''

Posted at: Mar 23 2018 2:42PM
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जौनपुर। उत्तर प्रदेश में जौनपुर के सरांवा गांव में महान क्रांतिकारी शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का 87वां शहीदी दिवस मनाया गया। शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर शुक्रवार को हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी एवं लक्ष्मीबाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर मोमबत्ती एवं अगरबत्ती जलायी और तीनों महान क्रान्तिकारियों को दो मिनट का मौन रखकर श्रंद्धाजलि दी। लक्ष्मीबाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा कि देश के महान क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 को पंजाब प्रांत के लायलपुर जिले के बग्गा गांव निवासी सरदार किशन सिंह के यहां हुआ था । देश की आज़ादी की लड़ाई में इन्होंने बढ़-चढ़ कर भाग लिया ।
उन्होंने कहा कि भगत सिंह का मानना था कि क्रान्ति का मतलब बम और पिस्तौल की संतुष्टि नहीं है। वे कहते थे कि पिस्तोल और बम इंकलाब नहीं लाते, इंकलाब की तलवार तो विचारों की शान पर तेज होती है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत कि नींव हिला देने वाले भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में फांसी पर लटका दिया। मंजीत कौर ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि आजाद भारत में अभी तक भगत सिंह को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया। उन्होंने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वे भगत सिंह को शहीद का दर्जा प्रदान करें, ताकि लोग उन्हें शहीद-ए-आज़म कह सकें।