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नगर निगम चुनाव में नहीं चलेगी प्रत्याशियों की मनमानी, निर्वाचन आयोग ने कसा शिकंजा

Posted at: Mar 26 2018 5:07PM
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रांची। सोमवार को नगर निगम चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो गई है इसके साथ ही राजनीतिक दलों में सियासी जंग भी तेज हो गई है। सभी पार्टियां जीत के लिए चुनाव प्रचार में पुरजोर तरीके से जुट गई हैं, लेकिन इस बार चुनाव में प्रत्याशियों के लिए प्रचार करना इतना आसान नहीं होगा। उन पर चुनाव आयोग की कड़ी निगाहें रहेंगी। 
निर्वाचन आयोग के निर्देश पर मेयर, डिप्टी मेयर, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष आठ वाहनों से ज्यादा का उपयोग चुनाव के दौरान नहीं कर सकेंगे। वहीं, नगर परिषद में पांच वाहनों और नगर पंचायत में प्रत्याशी अधिकतम चार वाहनों का इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके अलावा नगर निगम के वार्ड पार्षद प्रत्याशी मात्र चार वाहनों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में कर सकेंगे। सभी प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा भी चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित कर दी गई है।
गाड़ियों के उपयोग की अनुमति लेने के लिए आयोग ने एक फॉर्मेट भी जारी किया है। यह व्यवस्था सिर्फ वाहनों पर ही नहीं, बल्कि प्रचार के लिए उपयोग होने वाले लाउडस्पीकर पर भी लागू होगी। अनुमति लेने के लिए कई बिंदुओं पर प्रत्याशियों को जानकारी देनी होगी। इनमें प्रत्याशी का नाम, प्रत्याशी किस पद के लिए हैं दावेदार, वाहन संख्या, वाहन का प्रकार जीप या कार, वाहन का रजिस्ट्रेशन कार्ड, पॉल्यूशन व एनओसी की छायाप्रति, वाहन के मालिक का नाम व पता, वाहन के ड्राइवर का नाम व लाइसेंस की स्व सत्यापित प्रति, वाहन के प्रयोग की अवधि, यदि ध्वनि विस्तारक यंत्र के साथ अनुमति अपेक्षित हैं, तो ध्वनि विस्तारक यंत्र प्रदान करने वाले प्रतिष्ठान, फर्म का नाम व पता, यदि आवेदित वाहन के पूर्व भी इस आयोजन के लिए वाहन परमिट प्राप्त है तो उसके संबंध में सूचना। मतदान समाप्ति के 48 घंटे के पूर्व एवं मतदान के दिन वाहन की अनुमति के लिए अधियोजना अलग से देना होगी।
नामांकन पत्र की स्क्रूटनी के बाद अब पार्षद प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न का इंतजार है। फिलहाल रामनवमी के अवसर पर लगभग सभी प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में रामभक्तों के स्वागत में जुटे रहे। अधिकांश प्रत्याशी सुबह से ही व्हाट्सएप पर चिपके रहे। अपने शुभचिंतकों को वाट्सएप के जरिए रामनवमी की शुभकामना देने का सिलसिला दोपहर बाद तक जारी रहा। हालांकि जिन वार्डों में प्रत्याशियों की संख्या कम है वे अपने मतदाताओं के प्रति काफी आश्वस्त हैं,जबकि जिन वार्डो में प्रत्याशियों की संख्या अधिक है, उन्हें मतदाताओं के विखंडित होने की चिंता सता रही है। प्रत्याशियों की इस भीड़ में पुराने व वर्तमान पार्षद अपनी-अपनी जगह बनाने की तलाश में जुटे हुए हैं। साथ ही, नई रणनीति बनाई जा रही है।