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Posted at: Jun 5 2018 1:50PM
नई दिल्ली। सरकारी एवं निजी क्षेत्रों के बैंकों के प्रमुख वित्तीय मामलों की स्थायी संसदीय समिति को गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के मामले में संतुष्ट करने में असफल रहे जबकि समिति ने बैंकों को जानबूझकर नहीं चुकाए गए ऋण को अलग श्रेणी में तथा अन्य एनपीए को अलग श्रेणी में रखने को कहा। कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली समिति के साथ बैठक में भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के अधिकारी समेत भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष रजनीश कुमार और पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील मेहता मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, बैंक प्रमुखों ने एनपीए को लेकर समिति के सामने प्रस्तुतीकरण दिया। इस पर समिति ने एनपीए को अलग-अलग श्रेणी में रखने के लिए कहा। उसने कहा कि जानबूझकर नहीं चुकाये गये ऋण को अलग और अन्य एनपीए को अलग श्रेणी में रखा जाना चाहिये।
चंदा कोचर को लेकर भी उठाए सवाल
सूत्रों के अनुसार, पीएनबी के प्रमुख ने समिति से कहा कि नीरव मोदी ने जो बैंकिंग धोखाधड़ी की है वो अपने-आप में अलग मामला है। बैंक अधिकारियों ने समिति को बताया कि बैंकों में कोई सिस्टमेटिक असफलता नहीं है बल्कि यह एक-दो शाखा का मामला है। समिति ने निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर पर भी सवाल उठाए और कहा कि निजी क्षेत्र के बैंक भी भाई-भतीजावाद का शिकार हो गये हैं। समिति के सदस्यों ने कहा कि अगर केंद्र की राजनीति की वजह से बैंकों को नुकसान होता है तो उन्हें विरोध करना चाहिये और स्वायत्तता की मांग करनी चाहिये।