Friday, 29 March, 2024
dabang dunia

बिज़नेस

ईरान से तेल आयात में आ सकती है बाधा : इंडियन आॅयल

Posted at: Jun 16 2018 5:49PM
thumb

नई दिल्ली। तेल एवं गैस क्षेत्र की अग्रणी सरकारी कंपनी इंडियन आॅयल कॉरपोरेशन के मुताबिक भुगतान संबंधी समस्या की वजह से ईरान से आयातित तेल की आपूर्ति में अगस्त के बाद से बाधा आ सकती है। इंडियन आॅयल के वित्तीय प्रमुख ए.के. शर्मा ने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने तेल शोधक संयंत्रों को यह सूचना दी है कि उसके जरिये नवंबर के बाद से ईरान के तेल आयात का भुगतान बंद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि एसबीआई की इस घोषणा के कारण अगस्त के बाद से ही ईरान से तेल की ढुलाई प्रभावित होने लगेगी और जब तक भुगतान का नया माध्यम स्थापित नहीं किया जाएगा आपूर्ति बाधा बनी रहेगी।

भारत ने गैस फील्ड को लेकर जारी विवाद के कारण वर्ष 2017-18 के दौरान ईरान से अपना तेल आयात कम किया है, लेकिन फिर भी ईरान इसके लिए तेल का तीसरा बड़ा आपूर्तिकर्ता है। ईरान ने 31 मार्च 2018 को समाप्त वित्त वर्ष के दौरान में भारत में रोजना औसतन 4,58,000 बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति की है। भारत के तेल शोधक कारखाने ईरान से आयातित तेल का भुगतान यूरो में करने के लिए फिलहाल एसबीआई और जर्मनी के यूरोपेश ईरानीश हैंडल्सबैंक एजी का इस्तेमाल करते हैं। 

एसबीआई ने ऐसे समय में यह फैसला लिया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले ईरान पर छह माह के भीतर सख्त प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। दरअसल ईरान द्वारा परमाणु गतिविधियों पर रोक लगाने के वायदे पर अमेरिका सहित अन्य देशों ने वर्ष 2015 में उससे समझौता किया था।

अमेरिका की घोषणा के वक्त इंडियन आॅयल ने कहा था कि अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर वह ईरान से आयात में किसी भी कटौती की पूर्ति के लिये खाड़ी देशों के आपूर्तिकर्ताओं से तेल खरीदेगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज की योजना भी ईरान से तेल आपूर्ति रोकने की है जबकि नयारा एनर्जी ने इस माह से ईरान से तेल आपूर्ति में कमी शुरू कर दी है। नयारा एनर्जी को पहले एस्सार आॅयल के नाम से जाना जाता। रूस की तेल कंपनी रोस्रेफ्ट ने इसकी 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदकर इसका नाम बदला है।

ईरान सबसे अधिक तेल निर्यात चीन को करता है और दूसरे स्थान पर भारत है। भारत चंद ऐसे देशों में है जिसने ईरान पर पूर्व में लगाये गये प्रतिबंधों के समय भी उससे व्यापार जारी रखा। भारत का कहना है कि वह अमेरिकी प्रतिबंधों को नहीं मानता, लेकिन अमेरिका की वित्तीय प्रणाली से संबंध रखने वाली कंपनियों और बैंकों के प्रतिबंधों को न मानने की दशा में जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।