उत्तराखंड
Posted at: Jul 14 2018 9:50AM
नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा कि मंदिर में पुजारी होने के लिए जाति नहीं बल्कि योग्यता ही मानक है। अदालत ने कहा कि किसी भी मंदिर का ब्राह्मण पुजारी एससी और एसटी समुदाय के लोगों की पूजा करवाने से इनकार नहीं कर सकता है। वहीं एससी-एसटी समुदाय को लोगों को किसी भी मंदिर में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता है।
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की संयुक्त खंडपीठ ने जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए। राजस्थान निवासी पुखराज और अन्य ने हरिद्वार के रविदास मंदिर को लेकर याचिका दायर की थी। इसमें मंदिर से लगे स्थल पर पुल तथा सीढ़ियों का निर्माण करने से हो रही परेशानी को दूर करने की मांग की थी। इस मामले में बहस के दौरान याची के अधिवक्ता ने कई मंदिरों में पंडित पुजारियों के एससी-एसटी समुदाय के लोगों की पूजा नहीं करवाने की शिकायत को रखा। कहा कि कई बार मंदिर में प्रवेश से वंचित जैसी स्थिति भी आ रही है।
पुजारी योग्यता नहीं बल्कि जाति के आधार पर दिया जा रहा है। इस पर संयुक्त खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले का उल्लेख करते हुए निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा कि पुजारी किसी भी जाति का हो सकता है, इसके लिए केवल योग्यता मानदंड है। मंदिर में तैनात पंडित किसी भी जाति के व्यक्ति को पूजा कराने से मना नहीं कर सकता है। मंदिर में प्रवेश को लेकर किसी भी जाति पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिए फैसले और संविधान में इस प्रकार की भावना निहित है।