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भारत के हर राज्य में तेजी से बढ़ रहा है हृदय रोग : शोध

Posted at: Sep 13 2018 10:59AM
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नई दिल्ली। भारत में पिछले 25 वर्षों में हृदय रोग, पक्षाघात, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियां बहुत तेजी से बढ़ी हैं। प्रतिष्ठित जर्नल द लेंसेट और इससे सम्बद्ध जर्नलों में बुधवार को प्रकाशित हुए नए अध्ययनों से यह बात सामने आई है। भारत के हर राज्य में हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी बीमारियों, मधुमेह, सांस संबंधी बीमारियों, कैंसर और आत्महत्या के 1990 से 2016 तक के विस्तृत आंकलन दर्शाते हैं कि ये बीमारियां बढ़ी हैं परंतु अलग-अलग राज्यों में इनके प्रसार में काफी भिन्नता है।

पिछले 25 वर्षों के दौरान भारत में हर राज्य में हृदय संबंधी बीमारियां और पक्षाघात के मामले 50 प्रतिशत से अधिक बढ़े हैं। देश में हुईं कुल मौतों और बीमारियों के लिए इन रोगों का योगदान 1990 से लगभग दोगुना हो गया है। भारत में अधिकांश बीमारियों में हृदय रोग प्रमुख है, और वहीं पक्षाघात पांचवां प्रमुख कारण पाया गया है।

सभी राज्यों में तत्काल कार्रवाई करने के आदेश

भारत में हुईं कुल मौतों में से हृदय संबंधी बीमारियों और पक्षाघात के कारण हुईं मृत्यु के आंकड़े 1990 में 15.2 प्रतिशत थे, जो 2016 में बढ़कर 28.1 प्रतिशत आंके गए हैं। कुल मौतों में से 17.8 प्रतिशत हृदयरोग और 7.1 प्रतिशत पक्षाघात के कारण हुईं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में हृदय रोग के कारण मृत्यु और अक्षमता का अनुपात काफी अधिक है, लेकिन पुरुषों और महिलाओं में पक्षाघात समान रुप से पाया गया। भारत में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या 1990 में 13 लाख से बढ़कर 2016 में 28 लाख पाई गई।
 
कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के मामलों की संख्या 1990 में 2.57 करोड़ से बढ़कर 2016 में 5.45 करोड़ हो गई है। केरल, पंजाब और तमिलनाडु में इनका प्रसार सबसे अधिक था, इसके बाद आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, और पश्चिम बंगाल में भी ये अधिक पाए गए हैं। वर्ष 2016 में भारत में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के कारण हुईं कुल मौतों में से आधे से ज्यादा लोग 70 साल से कम उम्र के थे।
 
शोधकर्ताओं के अनुसार, 'यह अनुपात कम विकसित राज्यों में सबसे अधिक था, जो इन राज्यों में स्वास्थ्य प्रणालियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों के संबंध में चिंता का एक प्रमुख कारण है। भारतीय युवाओं और प्रौढ़ों में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के कारण होने वाली समयपूर्व मौतों को कम करने के लिए भारत के सभी राज्यों में तत्काल कार्रवाई और यथोचित कदम उठाने की महती आवश्यकता है।'