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ज्योतिष

शरद पूर्णिमा का धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक महत्व भी है

Posted at: Oct 24 2018 10:22AM
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शरद पूर्ण‍िमा को लेकर धारणा है क‍ि इस द‍िन चांद की रोशनी अमृत के समान होती है। इसमें तमाम रोगों का नाश करने की शक्‍त‍ि बताई गई है। यही वजह है कि इस मौके पर लोग रात में खीर को चांद की रोशनी में रखकर सुबह इसका प्रसाद ग्रहण करते हैं। हालांकि इसके कुछ वैज्ञान‍िक कारण भी हैं। 

श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार चन्द्रमा को औषधि का देवता माना जाता है। ऐसी मान्‍यता है क‍ि शरद पूर्णिमा की रात के चांद की किरणों को रावण दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था। ज‍िस तरह सूर्य की गर्मी तमाम क्र‍ियाओं के लिए महत्‍वपूर्ण है, वैसे ही चांद की किरणें तन-मन को शीतलता प्रदान करती हैं। शरद पूर्ण‍िमा पर चांद धरती के सबसे करीब होता है जिससे इसकी क‍िरणों का सबसे ज्‍यादा फायदा मिलता है। इसल‍िए इस रात को जागकर चांद की रोशनी में ध्‍यान लगाने या जाप करने की प्रथा भी है। 

क्‍यों रखी जाती है चांद की रोशनी में खीर 
दूध में लैक्टिक एस‍िड होता है और इसके पौष्‍ट‍िक तत्‍वों के कारण इसे संपूर्ण आहार का दर्जा द‍िया गया है। वहीं अपने तत्‍वों की वजह से चांद की किरणों से दूध ज्‍यादा मात्रा में शक्‍त‍ि को सोखता है। वहीं खीर में चावल मिलाया जाता है जिसमें मौजूद स्‍टार्च दूध को चांद से शक्‍त‍ि सोखने में मदद करता है। यही वजह है क‍ि शरद पूर्णिमा की रात में खीर को चांद की रोशनी में रखकर सुबह उसका सेवन करने की परंपरा अर्से से चली आ रही है। माना जाता है क‍ि इससे शरीर में सफूर्ति, रोगों से लड़ने की क्षमता और युवा शक्‍त‍ि बढ़ती है। 
 
तनाव दूर करने में मददगार 
चांद की किरणों को शीतल और ठंडक देने वाला माना जाता है। ये भी कहा जाता है क‍ि चांदनी रात में 10 से 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को अच्‍छी ऊर्जा प्राप्त होती है। वहीं इन किरणों को तनाव दूर करने वाला भी माना जाता है। अगर आप इस पूर्ण‍िमा की रात को चांद की रोशनी में ध्यान लगाते हैं तो खुद में ठहराव महसूस करेंगे।  अगर आप स्‍वस्‍थ हैं और इस समय बुखार, सर्दी, खांसी से नहीं जूझ रहे हैं या आपको ऐसी कोई व्‍याध‍ि नहीं है जो खुले में बैठने से बढ़ जाए तो आप इस चांदनी रात का पूरा फायदा उठा सकते हैं।