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12 साल बाद करवाचौथ में रोहिणी नक्षत्र, इस बार महिलाएं नहीं कर पाएंगी व्रत का उद्यापन

Posted at: Oct 26 2018 1:18PM
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देशभर में 27 अक्टूबर को करवा चौथ मनाई जाएगी। पति की दीघार्यु के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। इस बार 12 साल बाद ऐसा महासंयोग बन रहा कि व्रत रोहणी नक्षत्र एवं स्थिर लग्न वृषभ, वृश्चिक की बृहस्पति, दिन शनिवार को चंद्र दर्शन होंगे। पंडित कृष्ण मुरारी पांडे ने बताया कि कार्तिक मासे कृष्ण पक्ष श्री गणेश-करवा चौथ महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी आयु की कामना करेंगी। करवा चौथ के व्रत से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि मान-सम्मान, लक्ष्मी की वृद्धि, दीघार्यु आदि की पूरी प्राप्ति होती है। सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, माता-पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश जी की पूजा करके कथा सुनती हैं। आरती के बाद चंद्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं।
इस बार उद्यापन नहीं
इस बार महिलाएं इस व्रत का उद्यापन  नहीं कर पाएंगी। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक जब भी शुक्र अस्त रहता है, उस दौरान व्रत का उद्यापन नहीं किया जाता। हालांकि पूजा-पाठ, उपवास या फिर अन्य किसी भी धार्मिक कार्यों में कोई बाधा नहीं आती।  इस बार शुक्र करवा चौथ से 11 दिन पहले यानी 16 अक्टूबर को अस्त हो चुका है। ऐसे में जो भी महिलाएं 27 अक्टूबर को अपने करवा चौथ व्रत के उद्यापन के बारे में सोच रही थीं, उन्हें एक और साल का इंतजार करना होगा।
ऐसे होगा समापन
करवा, सीके-6, रोली, सिंदूर, हल्दी, चावल, पुष्प, मिष्ठान, कपूर, अगरबत्ती, शुद्ध घी का दीपक, कलावा, दूर्वा, शुद्ध जल का भरा हुआ कलश, घर में बने पकवान आदि की पूजा की जाती है। पूजा के पश्चात सुहागिन महिलाएं छलनी से चंद्रमा दर्शन के साथ पति के दर्शन करती हैं। पति के हाथों से ही जल और फल ग्रहण होते ही व्रत का समापन माना जाता है।