Friday, 29 March, 2024
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इस बार सोम प्रदोष के शुभ योग में मनाई जाएगी धनतरेस, जानें पूजा के मूहूर्त

Posted at: Nov 1 2018 10:41AM
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धनतेरस का पर्व 5 नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बार धनतेरस हस्त नक्षत्र एवं सोम प्रदोष के शुभ योग में मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार धनतेरस पर खरीदारी करने से 13 गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन पूरे बाजार में जबरदस्त खरीदारी का योग बनेगा। धनतेरस को लेकर बर्तन व सराफा कारोबारियों ने भी अभी से तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं।
बाजार में तैयारियां जोरों पर
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार,धनतेरस पर्व 5 नवम्बर को कार्तिक मास कृष्ण पक्ष को मनाया जाएगा। संपदा, आरोग्य एवं आयुष प्राप्त करने का विशेष दिन धनतेरस को माना जाता है। धनतेरस 5 उत्सवों के साथ मनाया जाएगा। इसमें धन्वंतरि जयंती, सोम प्रदोष, कुबेर पूजन और यमतर्पण व यमदीप दान होगा। इस दिन हस्त नक्षत्र के साथ दग्ध नक्षत्र रात्रि 8.39 से प्रारंभ होगा। हस्त नक्षत्र में खरीदारी करना शुभ रहेगा। यमदीप दान प्रदोष बेला में शाम 5.40 बजे से रात 8 बजे तक करना शुभ है। वहीं कुबेर पूजन का समय 10.35 से दोपहर 1.25 तक रहेगा। दोपहर से शाम तक गणेश लक्ष्मी चांदी के, धातु के बर्तन, इलेक्ट्रोनिक्स आयटम, वाहन, मिट्टी के दिए, श्रीयंत्र, झाडू, नमक, कौ़ंडी, शंख, आदि की खरीदारी इस समय शुभ रहेगी। इस दिन किसी को उपहार देना ठीक नहीं होता है।
अकाल मृत्यु से मिलेगी मुक्ति
धनतेरस के दिन यमराज के निर्मित व्रत रखने के साथ यमतर्पण और शाम के समय दीपदान दक्षिण दिशा में तिल के तेल का चौमुखा दीपक घर के बाहर चौराहा पर रखने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।
सोना खरीदने का मुहूर्त
धनतेरस वाले दिन सुबह 6 बजकर 39 मिनट से रात्रि 11.46 बजे तक सोना खरीदने के लिए शुभ है, इस दिन सोना खरीदने से धन की वृद्धि होगी है। वहीं राहुकाल में खरीदारी नहीं करें।
रात्रि में करें कुबेर का पूजन
रात्रि के समय धन के देवता कुबेर का पूजन करना चाहिए। आज के दिन आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य समुद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से हुआ था। ये भगवान विष्णु के अंशावतर माने जाते हैं। समुद्र मंथन के से अमृत कलश लेकर धन्वंतरि देवता का ही प्राकट्य हुआ था। इन्हें आयुर्वेद का जनक माना जाता है।
धनतेरस पूजा के मूहूर्त
धनतेरस पूजा मुहूर्त शाम 6.5 मिनट से रात्रि 8.5 बजे तक रहेगा। प्रदोष बेला शाम 5.29 बजे से 8.7 मिनट तक रहेगी। वृषभ काल 6 बजकर 5 मिनट से 8 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। वहीं त्रयोदशी तिथि का रात्रि 1 बजकर 24 मिनट से 5 नवम्बर को सुबह 11.46 मिनट तक रहेगा।