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Posted at: Jan 28 2020 1:11PM
नई दिल्ली। प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने सोमवार को कोलकाता लिटरेरी मीट के दौरान कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि भारत मंदी की चपेट में आ सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के बैंकिंग सेक्टर में ठहराव की स्थिति बनी हुई है। सरकार को इसके लिए वित्तीय सहायता मुहैया करानी चाहिए। 'जब हम कहते हैं कि देश मंदी की चपेट में आ सकता है, तो हम यह नहीं जानते कि इसका असर कितना होगा। वर्तमान डाटा से यह पता नहीं चलता कि हम मंदी की चपेट में नहीं आ सकते।' इतना ही नहीं, बनर्जी ने कार्यक्रम के दौरान भारत में संपत्ति कर लगाने और लोगों के बीच वितरण करने की वकालत भी की। आगे उन्होंने केंद्र सरकार के एयर इंडिया जैसी सरकारी कंपनियों के निजीकरण को सही ठहराया।
भारत के असंगठित क्षेत्र को लेकर भी बनर्जी ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है। लेकिन तब भी इसको लेकर हमारे पास कोई विश्वसनीय डाटा उपलब्ध नहीं है। 2018-19 में विकास दर 6.8 फीसदी रही थी। इस हिसाब से देखा जाए तो फिर इसमें करीब 1.8 फीसदी की गिरावट है। विश्व की सभी रेटिंग एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत के जीडीपी अनुमान को काफी घटा दिया है। मूडीज ने मार्च 2020 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान 5.8 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदी कर दिया है। फिच ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर के 4.6 फीसदी रहने की संभावना जताई है। वहीं 2020-21 के लिए 5.6 फीसदी और 2021-22 के लिए 6.5 फीसदी का अनुमान जताया है।