Thursday, 25 April, 2024
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शहरी सरकार का फोकस अब स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट पर

Posted at: Mar 10 2019 3:29PM
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- केपी सिंह
इंदौर। शहर में ट्रैफिक की बिगड़ी हालत सुधारने के लिए तेजी से काम शुरू हो गया है। वाहनों को सड़कों पर ढेरों ट्रैफिक सिग्नल से गुजरना पड़ता है, जिसमें रेड सिग्नल के कारण शहरवासियों को परेशानी होती है। इस कारण ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर करने की दिशा में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। इसके तहत रोबोट भी लगाया गया है। अब इस दिशा में शहरी सरकार ने कमान संभाल ली है और पूरा फोकस स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट पर कर दिया है। पेन सिटी प्रोजेक्ट के तहत नई तकनीक का सहारा लिया जाएगा, जिससे आमजन को ज्यादा परेशानी न हो। 
नगर निगम द्वारा विदेश में चल रही ऑटोमेटिक तकनीक का सहारा लेकर नया ट्रैफिक सिग्नल प्लान तैयार किया जा रहा है।
इसके तहत जिस लेन पर ट्रैफिक का ज्यादा लोड रहेगा, वहां सिग्नल ऑटोमेटिक काम करेंगे और रेड लाइट हो जाएगी। इसी तरह जिस लेन पर कम ट्रैफिक रहेगा, वो सिग्नल ऑटोमेटिक ग्रीन हो जाएगा। इससे सिग्नल की लंबी टाइमिंग का झंझट खत्म हो जाएगा। ये सभी ऑटोमेटिक सेंसर के माध्यम से काम करेंगे। इस तकनीक का इस्तेमाल इंदौर निगम करेगा, जिससे बेहतर ट्रैफिक मैनेजमेंट किया जा सकेगा। 
ऐसे काम करेगा सिस्टम 
स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम ऑनलाइन रहेगा। इसके लिए डाटा ट्रांसमिशन और रिसिविंग के लिए इंटीग्रेटेड कमांड और कंट्रोल सेंटर बनाया जाएगा। इसमें इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम और स्मार्ट पोल आदि भी शामिल होंगे। फाइबर ऑप्टिकल केबल आधारित डाटा संचार व्यवस्था तैयार की जाएगी। इससे हर चौराहे का डाटा कंट्रोल सेंटर पर पहुंचेगा और सिग्नल का स्वचलित संचालन किया जाएगा। नई व्यवस्थ लागू होते ही पता चल सकेगा कि किस इलाके में ट्रैफिक की क्या स्थिति है। इससे चालकों को ग्रीन लाइट मिलने की संभावना अधिक हो जाएगी। रेड सिग्नल में भी कम वक्त के लिए चौराहे पर रुकना होगा। इससे जनता के समय की बचत होगी। 
पेन सिटी के तहत कर रहे काम
शहर में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार सबसे बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि लगातार वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। शहर की मुख्य सड़कों की चौड़ाई भी बढ़ा दी गई है। इसके बाद ज्यादा गुंजाइश भी नहीं दिख रही है। ऐसे में ऑटोमेटिक सिस्टम पर काम करना जरूरी है। इसे देखते हुए पेन सिटी के तहत आॅटोमैटिक इंटेलिजेंस आधारित सिस्टम तैयार कर रहे हैं। इसमें सिंक्रोनाइज्ड सिस्टम के तहत सभी ट्रैफिक सिग्नल इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट सिस्टम पर काम करेंगे। सभी सिग्नलों का डाटा एक साथ कंट्रोल रूम पहुंचेगा। वहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर देखा जाएगा कि किस सिग्नल पर कितना ट्रैफिक लोड है, किस लेन से ज्यादा फ्लो आ रहा है और कौन-सी साइड खाली है। इसी हिसाब से कंट्रोल रूम सिग्नलों को मैनेज करेगा। 
सेंसर से सिग्नल की बदलेगी रेड-ग्रीन लाइट
निगम कमिश्नर सिंह ने बताया नई टेक्नोलॉजी आई है। इसमें कैमरे रडार के माध्यम से खुद ही सिग्नल सेंसर के माध्यम से एक्सेस कर लेता है  कि किस साइड से कितनी गाड़ियां आ रही हैं। साथ ही सिग्नल की टाइमिंग डायनेमिक होती है। अभी ये स्थिति है कि सिग्नल की टाइमिंग दो मिनट है और स्टार्ट हुआ है तो दो मिनट से ही स्टार्ट होगा, लेनिक नई तकनीक में ऐसा नहीं होगा। गाड़ियों की संख्या के हिसाब से अपने आप टाइमिंग बदलता रहेगी। अगर गाड़ियों की संख्या कम है तो 10 सेकंड की रेडलाइट होगी और गाड़ियां ज्यादा हैं तो एक मिनट की रेडलाइट रहेगी। ये काम पूरी तरह से सेंसर के माध्यम से होगा।
इसके अलावा दूसरा पहलू ये है कि एक सिग्नल उसके आगे वाले सिग्नल से कम्युनिकेट भी करता है। कंट्रोल रूम के जरिये और एससी केबल के जरिये। इससे इस तरह की व्यवस्था बना सकते हैं कि एक व्यक्ति एक साइड से घुस रहा है तो कोशिश करके उसे कम से कम रेड लाइट मिले। अगर एक बार ग्रीन लाइट मिल गई तो हो सकता है कि सारे सिग्नलों पर ग्रीन लाइट मिल जाए। इससे ट्रैफिक की व्यवस्था बेहतर की जा सकेगी।