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यशवंत सागर में पानी चोरी रोकने के लिए नाव से जाकर पकड़ रहे मोटरें

Posted at: Apr 3 2019 11:48AM
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- केपी सिंह
इंदौर। 
शहर के पुराने इलाकों की प्यास बुझा रहे यशवंत सागर तालाब पर संकट मंडरा रहा है। क्योंकि तालाब में पानी तेजी से घट रहा है। इसमें एक ओर जहां तालाब की मुख्य ट्रंक लाइन में 20 से ज्यादा अवैध कनेक्शन के माध्यम से पानी चोरी हो रहा है, तो दूसरी ओर तालाब के आसपास व दूर तक लगे खेतों में चोरी के पानी से खेती करने का काम किया जा रहा है। शहर में जलसंकट ने दस्तक देना शुरू कर दी है। 
यशवंत सागर में तो गर्मी का असर दिखने लगा है, लेकिन उसके आसपास खेतों में हरियाली दिखाई दे रही है। इसी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से पहली मर्तबा नगर निगम अफसरों द्वारा नाव को तालाब में उतारा है। इससे तालाब के अंदर लगी हुई मोटरों तक आसानी से पहुंचा जा रहा है और जब्ती की कार्रवाई की जा रही है। इसका असर भी अब दिखने लगेगा और आसपास खेती कर रहे किसानों में भी खौफ पैदा हो जाएगा और वो मोटरें लगाना बंद कर देंगे। 
पहली मर्तबा हुई नाव से कार्रवाई 
निगम के इतिहास में पहली मर्तबा यह रणनीति बनाई गई है। अब तक वाहनों की मदद से खेतों तक पहुंचा जाता था, वो भी तब निगम की टीम छापामार कार्रवाई करती थी, जब यशवंत सागर आधा सूख जाता था। इसके बाद रास्ता तैयार हो जाता था और निगम के वाहन उक्त रास्ते की मदद से खेतों तक पहुंचकर कार्रवाई की खानापूर्ति कर देते थे। इसका असर यह होता था कि हर साल बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन पहली मर्तबा नई तकनीक का सहारा लेकर पुरानी नाव को तालाब में उतारा गया। इससे किसानों को भी समझने में मुश्किल हो रही है कि नाव से मछली पकड़ रहे हैं या फिर मोटर पकड़ने आए हैं? यहां टीम सीधे खेतों के पास तक पहुंचती है और कार्रवाई कर लबालब पानी में डूबी हुई मोटरों को पकड़ रही है। यह डायरेक्ट यशवंत सागर के पानी में डालकर बेखौफ चलाई जा रही थीं।  
...इसलिए लिया निर्णय 
तालाब के आसपास खेत लगे हुए है। यहां वाहन जाता था तो खेती कर रहे किसानों को दिख जाता था और वो समय पर मोटरें निकालकर रवाना हो जाते थे। क्योंकि रास्ता खराब होने के कारण पहुंचने में आधे घंटे से ज्यादा का वक्त लगता था। कुछ स्थानों पर तो पहुंचना भी मुश्किलभरा रहता है, क्योंकि यह तालाब के पास में रहते है और वाहन नहीं पहुंच पाते। इसीलिए निर्णय लिया गया सीधे नाव से पहुंचकर कार्रवाई को अंजाम दिया जाए। 
यह है यशवंत सागर का रास्ता 
यशवंत सागर से पानी चलता है, जिसे देवधर्म स्थित पितृ पर्वत में फिल्टर किया जाता है। यहां से पानी गांधी नगर होते हुए बांगड़दा पहुंचता है। पर्वत से पानी बड़ा गणपति आता है। यहां से पानी को बिजलपुर स्थित कंट्रोल रूम से कंट्रोल किया जाता है कि कहां पर कितना पानी पहुंचाना है। इसके बाद टंकियों के साथ ही डायरेक्ट सप्लाय में पानी छोड़ दिया जाता है। 
तेजी से सूख रहा तालाब 
अफसरों की मानें तो यशवंत सागर तालाब में अभी भी 12.5 फीट पानी बचा है, लेकिन इसी तरह पानी चोरी होता रहा तो गर्मी में 30 एमएलडी की जगह पानी 15 एमएलडी भी नहीं मिल सकेगा। तालाब में ढेरों मोटर पम्पों को षड्यंत्रपूवर्क खुदाई कर अंडरग्राउंड पाइप लाइन डाल दी गई है। यह पम्प तालाब सूखने के साथ ही उभरकर सामने आएंगे। तालाब में चोरी के पानी से वो अपने खेतों को सींचने का काम कर रहे है, जिसमें बड़े-बड़े हॉर्स पावर की मोटरें डाल रखी है, जो कुछ ही देर में हजारों लीटर पानी खींच लेती है। निगम कार्रवाई करता है तो पहले ही ग्रामीण को सूचना पहुंचा दी जाती थी। इससे वो मौके पर पहुंचते है और अपनी-अपनी मोटरें निकालकर रवाना हो जाते। इसीलिए नया तरीका निकाला है। 
यशवंत सागर से भराने वाली टंकियां 
अफसरों की मानें तो सदर बाजार, सुभाष चौक, पल्हर नगर, संगम नगर, बीएसएफ, किला मैदान, महाराणा प्रताप टंकी को भरा जाता है। इसके अलावा रोजाना डायरेक्ट सप्लाय भी यशवंत सागर से किया जाता है। 
वाहन नहीं पहुंच पाते, इसलिए चलाई नाव 
यशवंत सागर से खेती करने वाले किसानों को समझाइश दी गई कि मोटरें न लगाएं। पेयजल के लिए यशवंत सागर का पानी उपयोग किया जाता है, इसलिए इसे खेती के लिए उपयोग न करें। तालाब में सीधे लगी मोटरें जब्त की जा रही हैं। पहली मर्तबा नाव को उतारा गया है, जिससे तालाब के बीच और खेतों के पास जाकर कार्रवाई करने में आसानी हो रही है। क्योंकि यहां तक वाहन नहीं पहुंच पाते थे। अभी से अंकुश लगाना शुरू कर दिया है, इसलिए उम्मीद है कि जून तक यशवंत सागर का पानी चल जाए। 
-रोहिन राय, प्रभारी यशवंत सागर