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साढ़े पांच माह बाद भी खातों में नहीं आया पीएफ का ब्याज

Posted at: Sep 16 2018 11:13AM
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- रफी मोहम्मद शेख 
इंदौर। एम्पलॉई प्रोविडेंट फंड के देशभर के करोड़ों सदस्यों के अकाउंट में अभी तक 2017-18 में जमा किए गए अंशदान का ब्याज जमा नहीं हुआ है। सामान्यत: यह ब्याज 31 मार्च तक दे दिया जाता है, लेकिन इस बार साढ़े पांच महीने का समय बीत जाने के बाद भी यह खातों के बैलेंस में नहीं जुड़ा है। इसके पीछे इनआॅपरेट अकाउंट की परिभाषा बदलने के कारण अकाउंटिंग सिस्टम में बदलाव और ईसीआर रिवीजन में हो रही देरी को कारण बताया जा रहा है।
एम्पलॉई प्रोविडेंट फंड स्कीम 1952 के नियमों के मुताबिक सदस्यों के प्रोविडेंट खाते में मासिक बैलेंस के हिसाब से हर साल के आखिर में ब्याज जोड़ा जाता है। फाइनेंशियल ईयर खत्म होने के बाद इसे पीएफ का सॉफ्टवेयर अपने आप जोड़ देता है। इस बार ऐसा नहीं हो पाया है। पीएफ के सूत्र इसका सबसे बड़ा कारण पीएफ के सॉफ्टवेयर में बदलाव को बता रहे हैं। फाइनेंशियल ईयर 2017-18 के लिए पीएफ पर 8.55 प्रतिशत ब्याज निर्धारित किया गया है। इससे पहले साल 2016-17 में पीएफ जमा पर ब्याज दर 8.65 प्रतिशत और साल 2015-16 में 8.8 प्रतिशत निर्धारित थी।  
ईसीआर पोर्टल में बदलाव
ईसीआर का पोर्टल दिसंबर 2016 साल तक चल रहा था। नियोक्ता द्वारा जरूरी रिटर्न फाइल करने का यह आॅनलाइन पोर्टल है। इसे हर महीने फाइल करना होता है। इसमें नियोक्ता को अपने हर इम्पलॉई के वेतन और पीएफ के अंशदान की जानकारी देना होती है। ईसीआर के नए वर्जन में इसे शिफ्ट किया जा रहा है और इस वजह से सिस्टम में दिक्कत आ रही है। रिवाइज्ड पोर्टल 2.0 दिसंबर 2016 को लांच किया गया था। इसमें नए और पुराने, दोनों इम्पलॉई के लिए बदलाव हो रहा है। वही पीएफ सदस्य की आईडी को अब यूएएन (यूनिफायड अकाउंट नंबर) में बदला जा रहा है। अब नए सिस्टम में सिर्फ सदस्य का नाम दिखेगा। नियोक्ता की तरफ से जमा किया अंशदान यूएएन में जमा हो जाएगा। कुल सैलरी के लिए भी नए ईसीआर में एक कॉलम बढ़ाया गया है।
देश में पीएफ संस्थानों की संख्या-947874
देश में सदस्यों की संख्या-13.90 करोड़
इंदौर में पीएफ संस्थानों की संख्या-10789
सदस्यों की संख्या- 13.88 लाख
इनआॅपरेटिव अकाउंट के कारण सॉफ्टवेयर में बदलाव
पीएफ में सॉफ्टवेयर फाइनेंशियल साल के अंत में अपने आप साल में जमा राशि पर ब्याज की गणना करता है और उसके बाद अकाउंट में अपडेट भी कर देता है। वास्तव में इनआॅपरेटिव अकाउंट में बदलाव के कारण इस सॉफ्टवेयर बदलाव हो रहा है। अभी तक इनआॅपरेटिव अकाउंट में 36 महीने (तीन साल) तक किसी भी खाते में प्रोविडेंट फंड का अंशदान नहीं आने पर इसे इनआॅपरेटिव अकाउंट माना जाता था। इसके बाद इस अकाउंट में जमा राशि पर ब्याज नहीं दिया जाता था।
अगर कोई पीएफ सदस्य तीन साल के भीतर ही अपने अकाउंट को नई पदास्थापना (नौकरी) के स्थान पर ट्रांसफर करवा लेता है तो वह पुराना अकाउंट इनआॅपरेटिव अकाउंट में नहीं होकर नए अकाउंट में मर्ज हो जाता था और उस राशि पर ब्याज शुरू हो जाता है। इस सिस्टम में बदलाव के कारण सॉफ्टवेयर में अपडेट किया गया है।
सेंट्रल सर्वर से नहीं जोड़ पाए
दूसरा बड़ा कारण इस बार पीएफ के हेड आॅफिस ने सारे देश के अकाउंट्स के सर्वर को एक ही सेंट्रल सर्वर से जोड़ने का मन बनाया था। इस प्रक्रिया को पिछले साल नवंबर से शुरू किया गया था, लेकिन इसके बाद कुछ मॉड्यूल में सर्वर को सेंट्रलाइज्ड करने में काफी समस्याएं आ रही थी। इस कारण अंतत: पीएफ के अकाउंटिंग सिस्टम को अभी जोनवार और मैन्युअल अकाउंटिंग सिस्टम में ही करने के निर्देश जारी किए हैं। अब यह प्रक्रिया शुरू होगी। प्रत्येक जोन और रीजनल आॅफिसों द्वारा अपने डाटा को ट्रांसफर किया जाता है और उसके बाद रिवीजन की प्रक्रिया होती है। 
ई-चालान का रिवीजन
इसी तरह ई-चालान कम रिटर्न (ईसीआर) में रिवीजन को भी इस देरी की वजह बताया जा रहा है। साल 2016-17 और 2017-18 के अकाउंट के कंपाइलेशन की प्रक्रिया ईसीआर रिवीजन के कारण खत्म नहीं हो पाई है। कई नियोक्ताओं ने पीएफ से रिवीजन की अनुमति देने का आग्रह किया है। इस कारण यह देरी हुई है और यह प्रक्रिया अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना बताई जा रही है। 
30 सितंबर तक संभावना
यह सारी प्रक्रिया हेड आॅफिस से होती है। अभी कई अपडेशन हो रहे हैं। सामान्यत: ब्याज की तारीख 30 सितंबर होती है और इस तारीख के पहले ब्याज अपडेट होने की संभावना है।
-अमरदीप मिश्रा, रीजनल कमिश्नर-1, इंदौर