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हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को पीएचडी की मानद उपाधि

Posted at: Jan 10 2019 11:10PM
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चंडीगढ़/पटना। विश्व हिन्दी दिवस पर हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को पटना में आयोजित बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में बिहार विद्यापीठ की ओर से गुरुवार को पीएचडी (विद्या वाचस्पति) की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आचार्य श्री सुदर्शन जी महाराज, बिहार हिंदी साहित्य के अध्यक्ष अनिल सुलभ और रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के निदेशक नेलन प्रकाश तोपनो, बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। राज्यपाल के सम्मान में पढ़े गये प्रशस्ति पत्र में कहा गया कि श्री आर्य ने बिहार में संस्कृत और हिंदी के विकास के लिए जो सराहनीय कार्य किया उसी की बदौलत आज उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया है। आर्य नालंदा जिले के राजगीर विधान सभा क्षेत्र से आठ बार विधायक रहे हैं। वह दो बार कैबिनेट मंत्री भी रहे। अपने बाल्यकाल से ही उन पर आर्य समाज के विचारों का प्रभाव रहा है और उन्होंने 1972 में राजगीर से ही चुनाव लड़ कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी।

पीएचडी  की उपाधि से सम्मानित किये जाने पर राज्यपाल आर्य ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र  प्रसाद द्वारा गठित बिहार साहित्य सम्मेलन का धन्यवाद दिया तथा हिंदी के विकास के लिये राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर को याद किया। साथ ही विश्व हिंदी दिवस पर देश के सभी साहित्यकारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसे साहित्यिक पुरोधाओं के कारण ही हिंदी भाषा का अस्तित्व बचा हुआ है और आज हिन्दी भाषा विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है। सम्मेलन में देश और विदेश से संस्कृत और हिंदी के प्रकांड पंडित और साहित्यकार उपस्थित थे।

राज्यपाल ने कहा कि देश  में मुगलों और अंग्रेजों के शासन काल में हिंदी भाषा ने कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन साहित्य प्रेमियों के संघर्ष के चलते इस भाषा ने निरंतर विकास किया। उन्होंने कहा कि हिंदी के विकास के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने 'सत्यार्थ-प्रकाश' को हिंदी भाषा में प्रकाशित किया। 'सत्यार्थ प्रकाश' में वेदों का सार है और आर्य समाज का आधार ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने 14 सितम्बर 1949 को संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी 1957 में हिंदी के लिए आंदोलन हुआ जिसमें भाग लेने वाले आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिया गया और आज उन्हें मासिक पेंशन भी प्रदान की जा रही है।

राज्यपाल आर्य ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण देकर हिंदी प्रेमियों का मस्तक ऊचां किया। इसी प्रकार से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में फिर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में ही धाराप्रवाह सम्बोधन किया। उन्होंने आमजन से सभी को हिंदी के विकास के लिए आगे आने और दिन-प्रतिदिन के कार्यों में हिन्दी का इस्तेमाल करने की अपील की।