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योग से ठीक होता है सरवाईकल स्पेंडलाईटिस

Posted at: Aug 5 2020 2:00PM
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सहारनपुर। गर्दन पर कालर बांधे अक्सर लोगो को देखा जा सकता है। यह गर्दन मे  होने वाले दर्द से बचने के लिए डाक्टरों की ओर से किया जाने वाला उपाय है। गर्दन में दर्द का इलाज योग में सदियो से बताया जा रहा है जिसके  प्रयोग व अभ्यास करने से गर्दन की तकलीफ से मुक्ति मिल जाती है।योग  गुरू गुलशन कुमार ने आज कहा कि गर्दन की मांसपेशी में तनाव या गर्दन की  हड्डियों मे बदलाव आने पर डिस्क प्रोलेप्स्ड 70 प्रतिशत, सरवाईकल  उ 6 डिस्क  को प्रभावित करता है जो सरवाईकल उ 7 पर प्रभाव डालता है।
 
इस विषय पर जिला अस्पताल में  कार्यरत हड्डी रोग विशेषज्ञ मनोज चतुर्वेदी ने कहा कि यदि गर्दन के  साथ साथ दर्द कंधे व बांह में महसूस होता है तो गर्दन का सी 4 व सी 5 मे  विकृति एक्सरे रिपोर्ट में आती है। जब गर्दन, कंधे व एक भुजा व हाथ की  अंगुलियों में दर्द महसूस हो तो एक्सरे में सी 5 व सी 6 मे विकृति आती है। योगी  गुलशन कुमार ने कहा कि कभी कभी गर्दन दर्द के प्रमुख कारण वाहन चलाते समय अचानक ब्रेक लगाने पर गर्दन  पर जोर का झटका लगना या बाहय आघात लगना, ऑस्टियोपोरोसिस होना, नियमित गर्दन आगे झुकाकर काम करना , ऊंचा मोटा तकिया लगा कर  सोना , भारी समान उठाने पर शारीरिक असन्तुलन आना आदि होता है।
 
योग  चिकित्सा में गर्दन दर्द के प्रबन्धन में अत्यंत सहायक है । यदि प्रारम्भिक  अवस्था में गर्दन दर्द का निदान हो जाए तो योग से गर्दन के स्रायु , पेशियो  आदि की विकृति को सुधारा जा सकता है तथा गर्दन की स्थिति को पुनवयर्वस्थित  किया जा सकता है। इनमे है ग्रीवा शक्ति विकासक, स्कन्ध चालन, भुजवल्ली  शक्ति विकासक, भुंजगासन, धनुरासन व उष्ट्रासन का अभ्यास उपयोगी होता है।  इसके अतिरिक्त रेचक पूरक प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम करे। इसके अलावा ओम का बारम्बार उच्चारण पीडा को कम करता है।