Thursday, 28 March, 2024
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''अर्जुन पुरस्कार'' की सिफारिश ने दी नई जिंदगी

Posted at: Sep 19 2018 2:33PM
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नई दिल्ली। पिछले नौ साल से नौकरी मिलने का इंतजार कर रही भारतीय महिला हॉकी टीम की गोलकीपर सविता पूनिया को उम्मीद है कि खेल मंत्री से मिले नौकरी के आश्वासन और अर्जुन पुरस्कार के लिये उनके नाम की सिफारिश से अब उनके कैरियर को नयी संजीवनी मिल जाएगी। 28 वर्षीय हरियाणा की इस स्टार गोलकीपर के परिवार ने कैरियर में हमेशा साथ दिया है, लेकिन नौकरी नहीं होने और बढ़ती उम्र के साथ रिश्तेदारों में शादी को लेकर कानाफूसी शुरू हो गई थी।
सविता ने अर्जुन पुरस्कार के लिए उनके नाम की सिफारिश किए जाने के बाद कहा, मेरे परिवार ने हमेशा मेरी हौसलाअफजाई की लेकिन लोग तो बातें करते ही हैं कि उम्र बढ़ रही है और शादी हो जानी चाहिए। अब अर्जुन पुरस्कार के बाद तो मुझे लगता है कि चार-पांच साल कोई कुछ नहीं कहेगा। बेरोजगारी का कलंक झेल रही सविता ने यह भी बताया कि खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने एशियाई खेलों में रजत पदक जीतकर टीम के लौटने के बाद उन्हें व्यक्तिगत रूप से नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया है।   
उम्मीद है मेरा इंतजार खत्म होगा 
पिछले दस साल से भारतीय सीनियर टीम के साथ खेल रही इस गोलकीपर ने कहा, एशियाड से लौटने के बाद राठौड़ सर ने खुद एक समारोह में मिलने पर मुझे बुलाकर नौकरी का आश्वासन दिया है। मुझे उम्मीद है कि नौ साल का मेरा इंतजार अब खत्म हो जायेगा और मैं पूरा ध्यान खेल पर लगा सकूंगी। उसने अर्जुन पुरस्कार को अपनी मां के लिये तोहफा बताते हुए कहा, जब भी कोई पदक या पुरस्कार मिलता है तो मेरी मां का पहला सवाल होता है कि अब तो नौकरी पक्की है ना। वह पढ़ी-लिखी नहीं हैं और उन्हें पुरस्कार की अहमियत नहीं पता, लेकिन पापा ने उन्हें समझाया। यह पदक और पुरस्कार मेरी तरफ से उन्हें तोहफा है।
एक अक्टूबर से फिर शिविर
एशियाई खेलों के बाद भारतीय हॉकी टीम को एक महीने का ब्रेक मिला है और एक अक्टूबर से शिविर फिर शुरू होगा। सविता ने कहा, एशियाड में हम भले ही स्वर्ण नहीं जीत पाए, लेकिन रजत पदक ने टीम के हौसले बुलंद कर दिये हैं। सभी खिलाड़ियों की सोच सकारात्मक है और हमें यकीन है कि तोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करके हम पदक जीतेंगे।