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चुनाव में हार के बाद कांग्रेस में इस्तीफों की बौछार

Posted at: May 24 2019 7:10PM
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नई दिल्ली। सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी में शुक्रवार को इस्तीफों की झड़ी लग गयी। पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राज बब्बर, अमेठी जिला अध्यक्ष, कर्नाटक कांग्रेस अभियान समिति के अध्यक्ष और कई अन्य नेताओं ने भी पराजय की जिम्मेदारी लेते हुए त्यागपत्र दे दिए। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुये पार्टी अध्यक्ष राजबब्बर ने परोक्ष रूप से इस्तीफे की पेशकश की है।
बब्बर ने इस्तीफे की सीधी पेशकश से बचते हुये ट्वीट किया -  जनता का विश्वास हासिल करने के लिए विजेताओं को बधाई। यूपी कांग्रेस के लिए परिणाम निराशाजनक हैं। अपनी जिम्‍मेदारी को सफल तरीके से नहीं निभा पाने के लिए ख़ुद को दोषी पाता हूँ। नेतृत्व से मिलकर अपनी बात रखूंगा।
लोकसभा चुनाव परिणामों में कांग्रेस को देश जनसंख्या और संसदीय सीट के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 80 में से मात्र एक सीट पर जीत नसीब हुई।  पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस की परंपरागत सीट अमेठी से केंद्रीय कपड़ा मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार स्मृति ईरानी से पराजय का मुंह देखना पड़ा। पार्टी को राज्य में केवल रायबरेली सीट से विजय मिली जहां कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी विजयी हुईं। उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव इतिहास में कांग्रेस का यह सबसे निराशाजनक प्रदर्शन था। 
गांधी ने अमेठी के अलावा केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ा था। कांग्रेस अध्यक्ष हालांकि वहां अच्छे मार्जिन से विजयी हुए। यही नहीं प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर को फतेहपुर सीकरी से हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस को लोकसभा की 542 सीटों के आये नतीजों में केवल 52 पर विजय मिली हैं। पार्टी 2014 में 44 सीटों पर जीती थी। अमेठी जिला कांग्रेस अध्यक्ष योगेंद्र मिश्र ने इस संसदीय सीट पर गांधी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
मिश्र ने पार्टी अध्यक्ष को भेजे इस्तीफे में लिखा है - मैं लोकसभा चुनाव में संसदीय क्षेत्र अमेठी से कांग्रेस की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी-अमेठी के पद से इस्तीफा देता हूं।’’ गौरतलब है कि अमेठी में जीत की हैट्रिक लगाने वाले गांधी को इस बार भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी के हाथों 55 हजार 120 मतों से हार का सामना करना पड़ा था।
कर्नाटक में कांग्रेस प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष एच. के. पाटिल ने भी राज्य में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। ओडिशा कांग्रेस अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने राज्य में लोकसभा के साथ विधानसभा में पार्टी के बुरे प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की है। पटनायक ने इस्तीफे की पेशकश करते हुए कहा,‘‘ मैंने भी चुनाव लड़ा था, पार्टी ने मुझे एक जिम्मेदारी सौंपी थी, मैं इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं और अपने पद से इस्तीफा देता हूं, मैंने त्यागपत्र के बारे में पार्टी अध्यक्ष को सूचित कर दिया है।
ओडिशा विधानसभा की 146 सीटों में से कांग्रेस को मात्र नौ सीटें मिली हैं। राज्य में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल(बीजेडी) को 112 और भाजपा को 23 सीटें प्राप्त हुईं। एक.एक सीट पर माकपा और निर्दलीय विजयी हुए।
राज्य की 21 लोकसभा सीटों में से तेरह पर बीजेडी और आठ पर भाजपा विजयी हुई है। कर्नाटक प्रचार अभियान समिति अध्यक्ष श्री पाटिल ने पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटों पर कांग्रेस ने राज्य में जनता दल (सेक्युलर) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। पार्टी ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें वह केवल एक सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। कांग्रेस ने जनता दल (सेक्युलर) को सात सीटें दी थीं। दोनों दल  केवल एक-एक सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे जिसमें बेंगलुरु ग्रामीण से कांग्रेस के वर्तमान सांसद डी के सुरेश हैं जो मंत्री डी के शिवकुमार के भाई हैं और जनता दल(एस) के प्रज्जवल रेवान्ना ने हासन से जीत हासिल की है।  
पाटिल ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं से कहा - हम लोगों को जनता के फैसले को स्वीकार करना होगा और मैं चुनाव में पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी  लेता हूं और अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा कर्नाटक प्रदेश  अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव को भेज रहा हूं। पाटिल को कर्नाटक कांग्रेस प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष श्री गांधी ने नियुक्त किया था।