Friday, 29 March, 2024
dabang dunia

देश

राहुल का PM पर हमला, कहा - मोदी को GST की समझ ही नहीं...

Posted at: Jan 28 2020 3:32PM
thumb

जयपुर। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश को बांटने, बेरोजगारी बढ़ाने तथा गरीबों का पैसा कुछ उद्योगपतियों में बांटने का आरोप लगाते हुए कहा है कि रेप कैपिटल के रूप में पहचान बनने की निराशा के दौर में देश का युवा न केवल चीन का मुकाबला करने की क्षमता रखता है बल्कि पूरी दुनिया को बदल सकता है। 
गांधी ने आज यहां युवा आक्रोश रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार की नीतियों के कारण पिछले वर्ष एक करोड़ युवा बेरोजगार हो गये। उन्होंने युवाओं का आहवान किया कि वे बेरोजगारी सहित समस्याओं के खिलाफ आवाज उठायें। 
राहुल गांधी ने कहा कि हमारे युवा देश को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को बदल सकते हैं। मुझे विश्वास है कि मेड इन इंडिया, मेक इन चाइना को पीछे धकेल सकता है। उन्होंने कहा कि भारत न केवल निर्माण और सेवा प्रदाता के रूप में बल्कि नैतिकता में भी अपनी पहचान दिखा सकता है। उन्होंने कहा कि मैं यह मानता हूं कि बड़े  उद्योगपतियों ने देश को बनाया है, लेकिन प्रधानमंत्री गरीबों का पैसा निकालकर कुछ उद्योगपतियों की जेब में डाल रहे हैं, जबकि मैं संतुलन के पक्ष में हूं। उन्होंने कहा  कि प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं की जेब से तीन लाख 50 हजार करोड़ रुपये निकालकर 15 -20  उद्योगपतियों की जेब में डाल दिया तथा अमीरों का एक लाख 50 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया। 
गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर धर्म के नाम पर देश को बांटने तथा नोटबंदी और जीएसटी लागू करके देश को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में सरकार हिंसा फैला रही है जिससे विदेशी निवेश भी आना बंद हो गया है। उन्होंने कहा कि अमरीका और यूरोप सहित कई देश यह मानते हैं कि चीन का मुकाबला भारत का  युवा कर सकता है। यह देश भारत में पैसा लगाने के लिये तैयार थे, लेकिन अब अशांति के चलते निवेश से कतरा रहे हैं। 
गांधी ने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी से देश को कोई फायदा नहीं हुआ। इससे व्यापारी बर्बाद हो गये। उन्होंने कहा कि मोदी को जीएसटी की समझ ही नहीं है। गांधी ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के समय सकल घरेलू उत्पाद की दर नौ प्रतिशत थी, लेकिन आज नये मापदंडों के अनुरूप भी पांच प्रतिशत आंकी जा रही है। यदि पुराने मापदंडों के अनुरुप परखा जाये तो यह दर ढाई प्रतिशत भी नहीं बैठती। यह इसलिये हो रहा है कि जो पैसा पहले मनरेगा और दोपहर भोजन योजना में खर्च किया जाता था वह लौटकर बाजार में आता था, लेकिन बंद करने से गरीबों की क्रय शक्ति खत्म हो गयी है। नतीजतन उद्योग धंधे भी बंद हो गये हैं और बेरोजगारी बढ़ने लगी है।