Saturday, 20 April, 2024
dabang dunia

देश

लॉकडाउन ने छीना गरीबों के जीने का सहारा: सोनिया गांधी

Posted at: May 29 2020 12:52AM
thumb

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि कोरोना और लॉकडाउन ने देश के गरीब के जीने का हर सहारा छीन लिया है जिसके कारण रोजी रोजी को मोहताज लाखों प्रवासी श्रमिकों के भूखे पेट और नंगे पांव सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर अपने घर जाने का अत्यंत दर्दनाक मंजर देश ने देखा है। 
 
कांग्रेस के देश की जनता की आवाज बुलंद करने के लिए सोशल मीडिया पर गुरुवार को 11 से दो बजे तक चले ‘स्पीक अप इंडिया’ अभियान को असाधारण सफलता मिलने के दावे के बाद गांधी, राहुल गांधी तथा वाड्रा ने यहां जारी अलग अलग बयानों में कहा कि कांग्रेस लॉकडाउन के खिलाफ नहीं रही है लेकिन इस दौरान सरकार ने गरीबों की समस्या को नहीं सुना जिसके कारण किसानों, प्रवासी श्रमिकों, कृषि श्रमिकों तथा अन्य गरीबों को भारी संकट का सामना करना पडा है।
 
कांग्रेस नेताओं ने सोशल मीडिया में पार्टी के अभियान में लेते हुए कहा कि सरकार ने लॉकडाउन लगाने से पहले गरीबों के बारे में नहीं सोचा महज चार घंटे का समय देकर देश में लॉकडाउन लागू किया जिसके कारण देश की जनता और खासकर गरीब प्रवासी श्रमिकों, खेतिहर मजदूर आदि को भारी समस्या का सामना करना पड। उनका कहना था कि कांग्रेस ने भी कोरोना की लडाई में सरकार का साथ दिया लेकिन वह आरंभ से कहती रही है कि इसके लिए योजनाबद्ध तरीका अपनाया जाना आवश्यक है।
 
इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि कोरोना रोकने के लिए लागू लॉकडाउन से पीड़ित लोगों की समस्याएं सामने लाने के लिए सोशल मीडिया पर आज 11 से दो बजे तक आयोजित पार्टी के ‘स्पीक अप इंडिया’ अभियान को जबरदस्त सफलता मिली जिससे 10 करोड़ से ज्यादा लोग इससे जुड़े और दुनिया में सोशल मीडिया पर यह अभियान सबसे आगे ट्रैक करता रहा। सभी वर्गो के लोगों ने इस माध्यम से अपनी पीडा व्यक्त की और कांग्रेस उनके इस दर्द को सरकार तक पहुंचाएगी।
 
गांधी ने कहा ‘‘यह सही है कि कोरोना को मात देने के लिए लॉकडाउन जरूरी था,यह मान के चलिये, मगर क्या यह भी जरूरी था कि देश की जनता को सिर्फ चार घंटे की मोहलत दी जाए। क्या सरकार ने सोचा था कि जब कारखानों के, जब दुकानों के मालिक अपने दरवाजे बंद कर देंगे, तो मजÞदूर का क्या होगा। क्या सरकार ने सोचा कि सड़क पर खड़े बेरोजगार मजदूर क्या कमायेंगे, क्या खाएंगे, कैसे जियेंगे, कहां जाएंगे। वो गरीब जिनसे किसी भी सरकार की सच्ची और सीधी परीक्षा यही होती है कि वे समाज के निर्धन और निर्बल के लिये क्या कर रही है।’’