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Posted at: Apr 19 2019 8:27PM
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि उसने नागरिकता विधेयक का विरोध करने वाले संपादकों तथा पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई करने का असम सरकार को कोई निर्देश नहीं दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को इस संबंध में जारी एक बयान में कहा ‘‘यह बात पूरी तरह आधारहीन है कि केंद्र ने असम सरकार को राज्य में किसी संपादक या मीडियाकर्मी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।’’
बयान में स्पष्ट किया गया है कि गृह मंत्रालय ने असम सरकार को किसी संपादक, प्रेस के सदस्य या मीडियाकर्मी के खिलाफ जाँच करने को नहीं कहा है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस संबंध में वास्तविक स्थिति बताते हुए कहा कि महाराष्ट्र के रत्नागिरि के पते से विनय जोशी नाम के एक व्यक्ति ने गृह मंत्रालय में नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 को लेकर गत 14 फरवरी को शिकायती आवेदन किया और कहा कि इस तरह के मुद्दों का उल्फा जैसे उग्रवादी संगठन फायदा उठाते हैं और मीडिया इस तरह के मुद्दे उछालकर उग्रवादियों के हौसले बुलंद कर रहा है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की शिकायतें मंत्रालय को बराबर और बड़े स्तर पर मिलती हैं। उन्होंने इस संबंध में 2018 का उदाहरण दिया और कहा कि इस पूरे साल इस तरह की 33 हजार शिकायते मिली हैं तथा केद्र नियमित रूप से इन शिकायतों को संबद्ध मंत्रालय तथा संबद्ध राज्यों को भेजता है। मंत्रालय में इस तरह के मामलों के जानकार इस अघिकारी ने यह भी कहा कि जोशी की शिकायत को भी इसी क्रम में असम सरकार को अग्रसारित किया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया मंत्रालय ने इस बारे में कोई जाँच नहीं की और न ही असम सरकार से इसको लेकर कोई रिपोर्ट माँगी है।