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Posted at: Feb 14 2018 3:06PM
नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव तथा तापमान में वृद्धि से केवल कृषि क्षेत्र पर ही नहीं बल्कि दुधारु पशुओं पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा जिसके चलते दूध उत्पादन में 2020 तक 32 लाख टन की कमी होने का अनुमान है। वैज्ञानिक अध्ययनों में कहा गया है कि तापमान में हो रही वृद्धि के कारण गाय और भैंस के दूध देने की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा जिससे अगले दो साल में दूध का उत्पादन 32 लाख टन तक की कमी आ सकती है । दूध की वर्तमान कीमत से यह नुकसान सालाना 5000 करोड़ रुपए से अधिक हो सकता है ।
वातावरण में आए बदलाव का सबसे अधिक प्रभाव वर्ण संकरित गायों पर होगा जिनमें जर्सी और हालस्टीन फ्रीजियन शामिल है। इसके बाद इसका असर भैंस पर होगा। इसके कारण पशुओं की न केवल प्रजनन क्षमता प्रभावित होगी बल्कि दूध उत्पादन भी कम होगा। वर्ण संकरित गायों में गर्मी सहन करने की क्षमता कम होने के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है । इससे उनके सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है। देश में वर्ण संकरित गायों की संख्या करीब चार करोड़ है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 19 करोड़ गोपशु है जिनमें से 20 प्रतिशत विदेशी नस्ल की गायें हैं जबकि 80 प्रतिशत देसी नस्ल की हैं । देश में कुल दूध उत्पादन में विदेशी नस्ल की गायों का योगदान 80 प्रतिशत है जबकि देसी नस्ल का 20 प्रतिशत है। सरकार ने 2020..21 तक 27.5 करोड़ टन दूध उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है ।
भारत विश्व में सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और यहां प्रति व्यक्ति 355 ग्राम दूध उपलब्ध है लेकिन दुधारु पशुओं की उत्पादकता विदेश की तुलना में काफी कम है ।