Friday, 29 March, 2024
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पंजाब

दूषित पानी की समस्या के स्थाई समाधान के प्रयास किये जायेंगे-मेघवाल

Posted at: May 26 2018 6:08PM
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बीकानेर। केन्द्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने पंजाब में इंदिरा गांधी नहर में जहरीला पानी छोड़े जाने को गम्भीर मानते हुए कहा कि नहर में वर्षों से आ रहे प्रदूषित पानी की समस्या का स्थाई समाधान करने के प्रयास किये जायेंगे। मेघवाल ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि पंजाब के अमृतसर के निकट एक चीनी मिल में बॉयलर फटने से जहरीला रसायन (शीरा) व्यास नदी में चला गया। उन्होंने कहा कि यह मामला पंजाब का ही नहीं है बल्कि इससे राजस्थान भी सीधे जुड़ा हुआ है। क्योंकि व्यास नदी का पानी हरिके पतन जाता है जहां से वह इंदिरा गांधी नहर में आता है, जिस पर पश्चिमी राजस्थान के 12 जिलों के लोग पेयजल और सिंचाई के लिये निर्भर हैं। 
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी नहर में  प्रदूषित पानी का यह पहला मामला नहीं है। कई वर्षों से इंदिरा गांधी नहर में रसायन छोड़े जाने की शिकायतें मिल रही हैं। मेघवाल ने कहा कि इस सम्बन्ध में हनुमानगढ़ की पूर्व उप जिला प्रमुख शबनम गोदारा ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में करीब चार वर्ष पूर्व एक याचिका दायर की थी। इस पर अब तक फैसला नहीं आया है। उन्होंने बताया कि इस मामले का उन्होंने अध्ययन किया और इसे बेहद गंभीर पाया। उन्होंने कहा कि ध्यान में लाये जाने के बावजूद इस मुद्दे पर पंजाब और राजस्थान के संबंधित अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की, लिहाजा इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा। इंदिरा गांधी नहर में प्रदूषित पानी को लेकर पंजाब ,राजस्थान व अन्य राज्यों के  अधिकारियों और अन्य लोगों की दिल्ली में एक बैठक होगी, जो पूरी तरह पारदर्शी होगी। बैठक में इसका स्थाई समाधान किया जायेगा जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। 
मेघवाल ने कांग्रेस के विश्वासघात के आरोप के सवाल पर कहा कि कांग्रेस ने 50 साल तक देश के साथ विश्वासघात ही किया है। कृषि विकास की मौजूदा दर दो दशमलव चार होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन के दौरान यह माइनस 46 प्रतिशत थी। उन्होंने कांग्रेस के  केंद्रीय योजनाओं के नाम बदलने के आरोप के संदर्भ में कहा कि केंद्रीय योजनाओं के नाम बदलने के साथ ही उसका आकार भी बढ़ा है। इंदिरा गांधी आवास योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री आवास योजना किया गया, लेकिन इसके साथ ही इसकी सीमा भी बढ़ाई गई। शुरू में यह एक लाख करोड़ रुपये की योजना थी जो बढ़कर छह लाख 96 हजार करोड़ रुपये की हो गई है।