ज्योतिष
Posted at: Mar 25 2018 10:50AM
रामनवमी 25 मार्च को मनाई जाएगी। इस बार आर्द्धा नक्षत्र, शोभन योग, बब करण, बुधादित्य योग व अष्टमी पूजन का विशेष संयोग बन रहा है। ये संयोग 19 साल बाद बन रहा है। भगवान राम का प्रकाट्य त्रेतायुग में चैत्र शुक्ल नवमी को हुआ था। इसमें मध्या व्यापिनी शुद्धा तिथि ली जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्र की एक तिथि का क्षय होने से अष्टमी 25 मार्च सुबह 8.02 मिनट से पूर्व रहेगी अर्थात इसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। यह त्योहार भगवान राम के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। माना जाता है कि भगवान राम का जन्म लाखों वर्ष पहले दोपहर के समय, चैत्र मास की नवमी तिथि को हुआ था।
पूजा का मुहूर्त
नवमी के दिन भगवान राम की पूजा का मुहूर्त सुबह 11.14 से दोपहर 1.40 मिनट तक रहेगा। मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 25 मिनट रहेगी फिर भी पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर 12.27 मिनट का रहेगा।
पूजन की विधि
सर्वप्रथम गणेश पूजन करें। गणेशजी को स्नान कराएं, वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, अक्षत से पूजन करें। इसके बाद भगवान राम का पूजन करें। भगवान राम को पहले जल फिर पंचामृत और वापस जल से स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें और आभूषण पहनाएं। पुष्पमाला पहनाकर तिलक करें। ‘श्री रामाय नम:’ कहते हुए भगवान राम को अष्टगंध का तिलक लगाएं। अब धूप, दीप व फूल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। आरती कर परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। फल, मिठाई अर्पित करें। पूजन के समय ऊँ रामाय नम: मंत्र का जाप करते रहें।
तोरण, वंदनवार से सजाने का विशेष विधान
रामनवमी के दिन घर और मंदिर के आंगन में, छत पर या तुलसीजी के पास बजरंगबली की केसरिया ध्वजा (झंडा) लगाना चाहिए। इस दिन पूजा-पाठ के बाद ध्वजारोहण होता है। पंडित विधिवत मंत्रोच्चार कर ध्वजारोहण की प्रक्रिया पूरी कराते हैं। रामनवमी के दिन ध्वजारोहण, घर के द्वार पर तोरण और वंदनवार लगाने से बजरंगबली की कृपा बनी रहती है, रोग, दु:ख नहीं आते और मनोकामना पूर्ण होती है।
मिलता है अक्षय पुण्य फल
आचार्य पं. राकेश शास्त्री ने बताया रामनवमी के दिन रामरक्षा स्तोत्र, राम मंत्र, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड आदि के पाठ से न सिर्फ अक्षय पुण्य मिलता है बल्कि धन-संपदा निरंतर बढ़ने के योग भी जाग्रत होते हैं। इस दिन दुर्गा मां के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की उपासना करना शुभ फलदायी होता है। इस क्रम में अपनी शक्ति अनुसार मां दुर्गा के नाम से दीप प्रज्ज्वलित करना चाहिए और कन्याओं को भोजन कराने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
भगवान राम के जीवन के रोचक तथ्य
पुराणों में कहा गया है कि माता कैकेयी के कहे अनुसार वनवास जाते समय भगवान राम की आयु 27 वर्ष थी। ऐसा भी कहा जाता है कि माता सीता की रावण से रक्षा करने जाते समय रास्ते में आए समुद्र को पार करने के लिए भगवान राम ने एकादशी का व्रत किया था। राम-रावण का युद्ध खत्म न होने पर अगस्त्य मुनि ने रामजी से आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने को कहा था।
चौदह साल नहीं सोए थे लक्ष्मणजी
लक्ष्मणजी चौदह साल के वनवास में एक बार भी नहीं सोए थे। उन्होंने देवी निद्रा से वरदान लिया था कि उन्हें चौदह वर्ष तक नींद न आए ताकि वे अपने बड़े भाई राम और सीताजी की सेवा हर पल कर सकें। रावण ने सुर्पणखा के पति दुष्टबुद्धि को युद्ध में मार दिया था, जिसकी वजह से सुर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया था कि उसकी मृत्यु का कारण एक स्त्री ही होगी।