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ज्योतिष

प्रभु यीशु के बलिदान का दिन है गुड फ्राइडे

Posted at: Mar 30 2018 10:42AM
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गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं। यह त्यौहार ईसाई धर्म के लोगों द्वारा कैलवरी में ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु के उपलक्ष्य में मनाया है। यह त्यौहार पवित्र सप्ताह के दौरान मनाया जाता है, जो ईस्टर सन्डे से पहले पड़नेवाले शुक्रवार को आता है और इसका पालन पाश्कल ट्रीडम के अंश के तौर पर किया जाता है और यह अक्सर यहूदियों के पासोवर के साथ पड़ता है।
 
बाईबल के अनुसार जब यीशु को सूली पर चढ़ाने के बाद राज्य के आम लोग अत्यंत निराश हो गए थे। वे उदास-हताश थे। तभी एक महिला के माध्यम से पता चला कि उसे दो देवदूतों ने बताया कि ईसा जी चुके हैं। लोगों को इस समाचार पर विश्वास नहीं हुआ। लेकिन बाद में उन्होंने ईसा को साक्षात देखा। यह कथा बताती है कि निराशा और दुखों में हताश होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सत्य कभी पराजित नहीं होता।
 
दुनिया के मुक्तिदाता ईसा मसीह की क्रूस पर इसी दिन मृत्यु हुई थी। वास्तव में यह मृत्यु नहीं, उनके जीवन की घटनाओं की पराकाष्ठा थी। उनके अंतिम दिनों का घटनाक्रम पांच दिन पूर्व खजूर रविवार को ही शुरू हो जाता है और शनिवार तक चलता है। इस पूरे सप्ताह को पवित्र सप्ताह कहा जाता है। पर ईसाई समुदाय इससे भी चालीस दिन पूर्व ईसा मसीह की मृत्यु की तैयारी शुरू कर देता है। इस बीच अधिकतर लोग अपना समय प्रार्थना, तपस्या, उपवास व परहेज, भलाई के कार्य करने में बिताते हैं और प्रायश्चित स्वरूपी जीवन से अपने पापों के लिये पश्चाताप करते हैं।
 
पुण्य सप्ताह अर्थात जिस दिन प्रभु मसीह ने अंतिम बार यरुशलम में प्रवेश किया, उस दिन से लेकर उनके पुनरुत्थान के दिन तक ईसाई लोग प्रभु यीशु के जीवन के बाइबिल में वर्णित घटनाक्रम की याद करते हैं और प्रार्थना करते हैं। पुण्य सप्ताह के पहले दिन को खजूर इतवार कहा जाता है।
 
उस दिन प्रभु यीशु ने एक गधे के बछेड़े पर सवार होकर शांति के राजा स्वरूप यरुशलम में प्रवेश किया और उनके शिष्यों एवं बहुत सारे यरुशलम निवासियों ने हर्षोंल्लास के साथ दाऊद के पुत्र की जय कहते हुए उनका स्वागत किया। लोगों को आशा थी कि ईसा एक ऐसे राजा होंगे जो उन्हें रोमी साम्राज्य की गुलामी से मुक्त करा देंगे। वे यह नहीं समझ पाए कि ईसा मसीह उन्हें स्वर्गराज्य का हकदारी बनाने के उद्धेश्य से आये थे।
 
पवित्र सप्ताह का दूसरा महत्वपूर्ण दिन होता है पुण्य बृहस्पतिवार। उस दिन प्रभु यीशु मसीह अपने शिष्यों के साथ अंतिम ब्यालू का त्यौहार मनाते हैं। ईसाई विश्वासी गुरुवार शाम को गिरजाघरों में एकत्र होते हैं। हर गिरजाघर के मुख्य पुरोहित, ईसा मसीह द्वारा बारह शिष्यों के पैर धोने की याद में, बारह लोगों के पैर धोते हुए ईसा मसीह के वचनों की याद करते हैं जब उन्होंने कहा था- अगर मैंने प्रभु और गुरु होकर तुम्हारे पैर धोए हैं तो तुम भी एक दूसरे के पैर धोया करो।
 
अपने चेलों के साथ उनका अंतिम भोजन मात्र एक यादगार भोज ही नहीं था। इस भोज के द्वारा ईसा ने एक विशेष संस्कार की स्थापना की थी। इस संस्कार के माध्यम से ईसा मसीह ने भविष्य में आने वाली सभी पीढिय़ों के लिए अपने आपको रोटी और दाख रस के रूप में अपनाने का वरदान छोड़ा और जिसको कई गिरजाघरों में आज तक मनाया जाता है। वास्तव में यह अंतिम भोजन उनके अगले दिन क्रूस पर अपने आपको बलिदान चढ़ाने मृत्यु का प्रतीक भी था।
 
पुण्य बृहस्पतिवार की रात को भोजन के बाद सिपाही ईसा मसीह को गिरफ्तार कर लेते हैं। और गुड फ्राइडे के दिन उन्हें एक अपराधी के समान रोमी राज्यपाल पिलातुस के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। अब तक लगभग सारी भीड़ ईसा के विरुद्ध हो जाती है और वे पिलातुस से मांग करते है कि वे उन्हें क्रूस पर चढ़ाएं। उन पर देशद्रोह के साथ - साथ अपने आप को ईश्वर का पुत्र होने का दावा करके ईश निंदा का भी आरोप लगाया गया।
उन्हें कांटों का मुकुट पहनाया गया। इसके बाद उनके कंधे पर एक भारी क्रूस लादा गया जिसे अनेक कठिनाइयों के साथ ढोकर उन्हें कलवारी पहाड़ तक ले जाया गया और वहां उनके हाथ - पांव में नुकीली कीलें ठोकी गईं। असहनीय दर्द और पीड़ा से छटपटाते देख अधिकारियों और सिपाहियों ने उनका उपहास किया। कष्ट पूर्ण और दयनीय तरीके से उन्हें लकड़ी के काठ पर ठोक दिया गया।
 
अंत में दोपहर अकाश में काले बादल घिर आए , भूकंप से धरती कांप उठी , अंधकार छा गया , आंधी - तूफान ने तबाही मचा दी , यरुशलम मंदिर का पर्दा फट गया। तब ईसा मसीह ने क्रूस पर से ऊंचे स्वरों में पुकार के कहा - सब पूरा हो चुका है। और फिर सिर झुकाकर उन्होंने प्राण त्याग दिए। उसी क्षण से दुनिया ने उनके बलिदान में मुक्ति पाई। तब से लेकर आज तक सारा संसार उन्हें ईसा मसीह दुनिया के मुक्तिदाता के रूप में मानता आ रहा है।
 
इसे गुड फ्राइडे कहने का तात्पर्य यह है कि सलीब पर यातनापूर्ण मृत्यु के द्वारा उन्होंने हम सबको पापों से मुक्ति दिलाई और हमें फिर से ईश्वर के प्रेम के पात्र होने का अवसर दिलाया। यह मानव जाति के लिए एक अमूल्य वरदान है। ईस्टर- जो ईसा मसीह के पुन: जीवित हो उठने की खुशी में मनाया जाता है।