Friday, 26 April, 2024
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झूठा निकला सेरेना विलियम्यस का दावा - महिलाओं से ज्यादा पुरुष होते हैं पीड़ित

Posted at: Sep 17 2018 12:44PM
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लॉस एंजिल्स। पिछले दिनों दिग्गज टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स ने कहा था कि सजा के मामले में दोहरे मानदंड अपनाए जाते हैं, लेकिन आंकड़े इसके उलट हैं, जिसमें पुरुष खिलाड़ियों को कोर्ट में आपा खोने और रैकेट तोड़ने के मामले में महिलाओं की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा सजा मिली है।
एक अखबार की खबर के मुताबिक 1998 से 2018 के बीच ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंटों में पुरुष खिलाड़ियों पर 1,517 बार जुमार्ना लगाया गया है, जबकि महिला खिलाड़ियों पर जुर्माना लगाने के 535 मामले सामने आये हैं। अखबार के द्वारा पिछले 20 साल के दौरान खेले गए 10 हजार से ज्यादा मैचों से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक रैकेट तोड़ने के मामले में पुरुषों खिलाड़ियों पर 649 बार जुर्माना लगाया गया है, जबकि महिलाओं को सिर्फ 99 बार यह सजा दी गई है।
पुरुषों पर 344 बार लगा जुर्माना 
इन आंकड़ों में ‘असभ्य भाषा’ के इस्तेमाल करने के मामले में पुरुषों पर 344 बार जुमार्ना लगा है, जबकि महिलाओं पर 140 बार। इसके साथ ही खेल भावना के विपरीत आचरण करने पर पुरुषों पर 287 मामले दर्ज हुए तो वहीं महिलाओं के 67 मामले सामने आए हैं। पिछले सप्ताह सेरेना ने अमेरिकी ओपन के फाइनल में नाओमी ओसाका के खिलाफ मैच के दौरान चेयर अंपायर कार्लेस रामोस के फैसले का विरोध करते हुए उन्हें ‘झूठा’ और ‘चोर’ कह दिया था। उन्होंने मैच के बाद टूर्नामेंट रेफरी को कहा था कि चूंकि मैं महिला हूं, इसलिए आप मेरे खिलाफ फैसला दे सकते हो। मैच के बाद उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, यह सही नहीं है। मैंने पुरुषों को अंपायर से कई बार असभ्य भाषा बोलते हुए देखा है। मैं यहां महिलाओं के अधिकार और बराबरी के लिए लड़ रही हूं। मैंने उन्हें एक गेम छीनकर विरोधी खिलाड़ी को देने के लिए उन्हें चोर कहा, लेकिन मुझे लगा यह लैंगिक भेदभाव है।
ओसाका ने सेरेना को हराया था
इस दिग्गज खिलाड़ी ने कहा- पुरुष खिलाड़ियों के चोर कहने पर उन्होंने कभी उनके खिलाफ गेम नहीं दिया। इस फैसले ने मेरे दिमाग को हिलाकर रख दिया था। उन्होंने मैच के दौरान अपना रैकेट भी तोड़ दिया था और यह धमकी दी थी कि पुर्तगाल का यह अंपायर उनके मैच में फिर कभी अंपायरिंग नहीं करेगा। ओसाका ने इस फाइनल मैच में सेरेना को 6-2, 6-4 से हराया था। इन आंकड़ों में पुरुषों के खिलाफ ज्यादा मामले इसलिए भी है, क्योंकि ग्रैंडस्लैम में उन्हें बेस्ट आॅफ फाइव मैच खेलने होते हैं जबकि महिलाओं को बेस्ट आॅफ थ्री मैच खेलने होते हैं।