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भारत को फिर से ‘विश्व गुरू’ बनाने के लिए शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण- मिश्र

Posted at: Feb 28 2020 7:25PM
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जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि भारतीय ऋषि-मुनियों ने भौतिक एवं आध्यात्मिक  क्षेत्र के हर विषय पर महान कार्य किया है। उनके दिए तर्क और किया गया  कार्य अकाट्य है। मिश्र आज जामडोली स्थित केशव विद्यापीठ द्वारा संचालित  अग्रसेन स्रातकोत्तर शिक्षा महविद्यालय सी.टी.ई में आयोजित ‘‘भारतीय  वाग्ड्मय के परिप्रेक्ष्य में शिक्षक-शिक्षा की संकल्पना’’ विषयक दो दिवसीय  राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित  कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारतवर्ष को फिर से विश्व गुरू बनाने के लिए शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा कि शिक्षक प्राचीन साहित्य, ऋषि मनीषियों के किए गए कार्यों, साहित्य, ग्रन्थों द्वारा स्वयं ज्ञानार्जन करे, आत्मानुभूत करे एवं अपने विद्यार्थियों एवं समाज के लिए इस ज्ञान का उपयोग करे। उन्होंने कहा कि ऋग्वेद संसार की पहली पुस्तक है और वेदों में संसारभर का ज्ञान समाहित है। रसायन, खगोलिकी, चिकित्सा, शल्य जैसे हर विषय पर प्राचीन मनीषियों ने विविधता के साथ कार्य किया है।

उन्होंने चरक, वराहमिहिर, आर्यभट्ट, कौटिल्य जैसे कई विद्वानों के कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके कार्य को आज भी प्रासंगिक एवं काल खण्ड की सीमा से परे बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षक को हमारे देश में श्रद्धा की नजर से देखा जाता है, इस भाव को विद्यार्थी एवं समाज के लिए अपनी भूमिका से बनाए रखने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों की है। मिश्र ने इस मौके पर सभी संभागियो को भारतीय संविधान की उद्देशिका एवं मूल कर्तव्यों का पठन कराया एवं उनके भावों को जीवन में उतारने का आह्वन किया।