Friday, 29 March, 2024
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सेंट्रल विस्टा भारतीयता को समाहित करने का प्रयास : हरदीप पुरी

Posted at: Jan 28 2021 12:35AM
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नई दिल्ली। केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना एक ऐसा प्रयास है जिसका उद्देश्य हमारे स्वतंत्रता सेनानियों, जीवंत इतिहास, वास्तु विविधता और संस्कृति की स्मृति की रक्षा और सम्मान करते हुए वर्तमान समय की बुनियादी सुविधाओं की जरूरतों को पूरा करना है।

पुरी ने यहां पंडित पंत मार्ग पर भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा के माल्यार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘न्यू इंडिया’ वह है जो विकास और प्रगतिशील बदलाव पर ध्यान देते हुए हमारे समृद्ध इतिहास और परंपरा को संरक्षित और पोषित करता है। 

पुरी ने कहा कि भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की यात्रा और दर्शन को सम्मानित करने के लिए एक नया स्थल यथोचित रूप से विकसित किया गया है, जो भारतीयों को हमारे समाज और देश की प्रगति के लिए निस्वार्थ समर्पण के लिये प्रेरणा प्रदान करता है। चर्च रोड, लोकसभा मार्ग, राज्यसभा मार्ग और पंडित पंत मार्ग के चौराहे पर रोटरी नंबर 48 में प्रतिमा को अपने नए स्थल पर स्थानांतरित कर दिया गया है और अब यह प्रतिमा प्रख्यात ऐतिहासिक स्थलों से घेर दी गई है। महान राष्ट्रीय नेता को सम्मानित करने के लिए इस स्थल को यथोचित रूप से विकसित किया गया है। 

गोविंद बल्लभ पंत स्मारक समिति की अध्यक्ष इला पंत, गोविंद बल्लभ पंत स्मारक समिति की मुख्य संपादक और सलाहकार कुलसुम नूर सैफुल्ला, आवास और शहरी कार्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के महानिदेशक और कई सांसद भी इस माल्यार्पण समारोह में शामिल हुए।

गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा का पुराना स्थल रायसीना रोड और रेड क्रॉस रोड को जोडने वाले स्थल पर रायसीना रोड के गोल चक्कर के पास था। यह स्थल नये संसद भवन नक्शे के अंदर आ रहा था और इस प्रतिमा को स्थानांतरित करने की आवश्यकता थी। केंद्रीय स्थान प्रदान करने और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के सम्मान में पंडित पंत मार्ग का नाम रखा गया था, इसलिये प्रस्तावित पुनर्वास स्थल, गोल चक्कर संख्या 48 एक उपयुक्त विकल्प था। यह चर्च रोड, पंडित पंत मार्ग, लोकसभा मार्ग और राज्यसभा मार्ग के चौराहे पर स्थित है। गौरतलब है कि पंडित पंत की प्रतिमा 1966 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने स्थापित की थी।