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पत्नी, पति की संपत्ति नहीं जिसे घर का सारा काम करना पड़े : बम्बई उच्च न्यायालय

Posted at: Feb 26 2021 12:03AM
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मुंबई। बम्बई उच्च न्यायालय ने सोलापुर के एक व्यक्ति को पत्नी पर हथोड़े से हमला करने के लिए 10 साल की जेल सजा देने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा है कि पत्नी, पति की संपत्ति नहीं है जो घर का पूरा काम करे। 

सोलापुर के संतोष एम आटकर 35 वर्ष ने 19 दिसंबर 2013 को पत्नी मनीषा द्वारा चाय नहीं बना कर देने पर उस पर हथोड़े से हमला कर दिया था जिसकी कुछ दिन बाद अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी। अदालत ने माना कि एक पत्नी द्वारा पति के लिए चाय बनाने से इनकार करने पर उसे गंभीर रूप से अपमानित नहीं किया जा सकता और उसके साथ मारपीट नहीं की जा सकती। 

रेवती मोहिते-डेरे ने ऐसी घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एक पत्नी के साथ कैसे जानवर या एक वस्तु की तरह व्यवहार किया जाता है, वैवाहिक जीवन में पति और पत्नी बराबरी का हक रखते हैं। इस मामले में पंढरपुर की जिला अदालत के अतिरिक्त न्यायाधीश ने जुलाई 2016 को आटकर को 10 वर्ष की सजा सुनाई थी जिसको आटकर ने बम्बई उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। बम्बई उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए याचिका खारिज कर दी।