Wednesday, 17 April, 2024
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मध्यप्रदेश के बजट में 2,41,375 करोड़ रुपयों से अधिक का प्रावधान

Posted at: Mar 2 2021 4:35PM
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भोपाल। मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने आज विधानसभा में वित्त वर्ष 2021 22 के लिए 2,41,375 करोड़ रुपयों के प्रावधान वाला बजट पेश किया, जिसमें मुख्य रूप से 'आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश' की कल्पना को साकार करने के उद्देश्य से ढांचागत सुविधाओं के विकास और विस्तार के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और सुशासन पर विशेष जोर दिया गया है।  देवड़ा के एक घंटे से अधिक समय तक चले बजट भाषण में कोरोना के अभूतपूर्व संकट के कारण राजस्व प्राप्तियां कम होने और केंद्र सरकार से भी राज्य का पर्याप्त हिस्सा नहीं मिलने की झलक दिखायी दी।
 
इसके बावजूद बजट में नए करों का प्रावधान या मौजूदा करों की दर बढ़ाने का प्रावधान नहीं किया गया है।  वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में कुल विनियोग की राशि 2,41,375 करोड़ रुपए है। इसमें से 1,72,971 करोड़ रुपए राजस्व व्यय और 44,152 करोड़ रुपए पूंजीगत व्यय के तहत प्रस्तावित की गयी है। उन्होंने कहा कि सामाजिक आर्थिक उत्थान की योजनाओं के लिए वर्ष के दौरान समग्र रूप से 1,12,521 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है। देवड़ा ने वर्ष के दौरान होने वाले शुद्ध लेनदेन का जिक्र करते हुए कहा कि कुल प्राप्तियां 2,15,954 करोड़ रुपए और कुल व्यय 2,17,123 करोड़ रुपए होने का अनुमान लगाया गया है।
 
इस तरह शुद्ध लेनदेन 1,169 करोड़ रुपए ऋणात्मक है और अंतिम शेष 5,465 करोड़ रुपए रहने की संभावना है।  वित्त मंत्री ने वित्त संबंधी आकड़े पेश करते हुए कहा कि 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा अनुसार वर्ष में राजकोषीय घाटे की सामान्य सीमा 04 प्रतिशत प्रस्तावित है। इसके अलावा ऊर्जा के क्षेत्र में कतिपय सुधारों के जरिए 0.5 प्रतिशत की अतिरिक्त सीमा स्वीकृत की जा सकेगी। वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा 50938 करोड़ रुपए अनुमानित है, जो कि राज्य के सकल घरेलु उत्पाद का 4.5 प्रतिशत है।
 
उन्होंने कहा कि इस वर्ष 8293 करोड़ रुपए रुपयों का राजस्व घाटा अनुमानित है। इस संबंध में वे सदन में अलग से वक्तव्य पेश करेंगे।  उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 22 के दौरान मध्यप्रदेश को केंद्रीय करों की लगभग 2000 करोड़ रुपयों की अतिरिक्त राशि प्राप्त होने की संभावना है। उन्होंने बजट भाषण के अंत में यह भी कहा है कि उन्हें इस बात को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि राज्य के विकास व समृद्धि के लिए अभी बहुत कुछ करना शेष है।