प्रदेश
Posted at: Jun 12 2021 8:49PM
भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के BJP में शामिल होने को कांग्रेस सरकार के पतन और शिवराज सरकार की वापसी के सीमित सियासी घटनाक्रम तक देखा गया, प्रतिस्पर्धी को कमजोर कर खुद को मजबूत करने के सियासी दांव पर BJP का ज्योतिरादित्य मॉडल बेहद सफल दिख रहा है। UP में अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की आहट के बीच कांग्रेस से एक और युवा चेहरे जितिन प्रसाद ने धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। प्रतिस्पर्धी को कमजोर कर खुद को मजबूत करने के सियासी दांव पर भाजपा का ज्योतिरादित्य मॉडल बेहद सफल दिख रहा है। उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की आहट के बीच कांग्रेस से एक और युवा चेहरे जितिन प्रसाद ने में आमद दी है। माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक ऐसे कई युवा नेता कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों को छोड़कर BJP का रुख कर सकते हैं, जिन्हें न तो अपने दल में अपेक्षानुरूप सम्मान मिल रहा और न ही सियासी भविष्य दिख रहा, जैसा सिंधिया को भाजपा में हासिल है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के BJP में शामिल होने को कांग्रेस सरकार के पतन और शिवराज सरकार की वापसी के सीमित सियासी घटनाक्रम तक देखा गया, जबकि BJP ने इसे बड़े प्रयोग के तौर पर चुनौती के रूप में स्वीकार किया। संगठन ने सिंधिया को पार्टी में ऐसे नेता के रूप में स्थापित करने की कवायद शुरू की, जिसे अपनी मूल पार्टी से ज्यादा सम्मान मिला।
कैबिनेट में उनके समर्थकों को तवज्जो दी गई तो विधानसभा की 28 सीट पर उपचुनाव में सिंधिया के उन सभी साथी पूर्व विधायकों को टिकट दिया गया, जो विधायकी से इस्तीफा देकर आए थे। इधर, सिंधिया को भी भाजपा ने राज्यसभा भेजने में संकोच नहीं दिखाया। भाजपा के इस मॉडल पर कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के कई दिग्गज युवा नेताओं की नजर थी तो भाजपा भी ऐसे चेहरों को लेकर सजग है। ऐसे में भाजपा एक तीर से दो निशाने लगा रही है, पहला कि वह कांग्रेस मुक्त भारत का संकल्प साकार करने की दिशा में वह आगे बढ़ रही है, तो दूसरा अपने संगठन में मजबूत युवा चेहरे बढ़ा रही है।