Friday, 26 April, 2024
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प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल करके ही चैन की सांस लेंगे: शिवराज

Posted at: Aug 5 2021 6:17PM
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भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि अतिवृष्टि और बाढ़ की स्थिति से प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल करके ही हम चैन की साँस लेंगे। संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार हर बाढ़ प्रभावित के साथ है। चौहान ग्वालियर-चंबल संभाग के प्रभारी मंत्री, स्थानीय मंत्री, कमिश्नर एवं कलेक्टर्स के साथ राहत के संबंध में निवास से वीसी द्वारा चर्चा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाँवों में जब तक घरों में भोजन बनाने की स्थिति नहीं बन जाती, तब तक भोजन प्रदाय की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
 
प्रत्येक प्रभावित परिवार को 50 किलो गेहूँ तत्काल प्रदान किया जाये। बिजली व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने और मोबाइल नेटवर्क की पुनर्स्थापना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। जिन परिवारों के घर ढह गए हैं उनके लिए छत की व्यवस्था करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि उप राष्ट्रपति एम वैंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर स्थिति की सतत जानकारी ले रहे हैं। केंद्र से हरसंभव सहयोग प्राप्त हो रहा है। मोबाइल नेटवर्क तथा रेल मार्ग पुन: स्थापित करने में त्वरित रूप से सहायता प्राप्त हो रही है।
 
चौहान ने कहा कि राहत शिविरों में भोजन, पीने के पानी, पर्याप्त दवाओं, बीमार व्यक्तियों के परीक्षण और उपचार की व्यवस्था की जाए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि राहत शिविरों में बीमारी नहीं फैले। उन्होंने कहा कि सभी कलेक्टर तथा प्रशासनिक अमला पूर्ण दक्षता एवं युक्ति से राहत और बचाव कार्यों का क्रियान्वयन करें। यह परीक्षा की घड़ी है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस तथा अन्य अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।
 
मुख्यमंत्री ने दतिया, गुना, ग्वालियर, मुरैना, भिंड, शिवपुरी और श्योपुर की स्थिति की वर्चुअली जानकारी ली। ग्वालियर से ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, भिंड से सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदोरिया, मुरैना से उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह और शिवपुरी से खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया वीडियो कांफ्रेंस में वर्चुअली सम्मिलित हुए। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट और नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया ने भी कांफ्रेंस में भाग लिया।
 
वीडियो कांफ्रेंस में अवगत कराया गया कि एनडीईआरएफ की 3-3 टीमें क्रमश: शिवपुरी, मुरैना और भिंड में बचाव और राहत कार्य में जुटी हैं। वायुसेना के 5 हेलीकॉप्टर भी कार्यरत हैं। नावों से बचाव कार्य जारी है। आज प्रात: 5.30 बजे से आरंभ हुए बचाव कार्य में 221 लोगों को सुरक्षित स्थल पर पहुंचाया गया। एनडीइआरएफ, एसडीइआरएफ, बीएसएफ भी जिलों में लगातार बचाव के कार्य में लगी हैं।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्योपुर में बहुत अधिक तबाही हुई है। लोगों को सहायता की जरूरत है। ग्वालियर और मुरैना कलेक्टर, श्योपुर में व्यवस्थाएं पुन: स्थापित करने और जन-सामान्य को भोजन, पेयजल, दवाएं तथा अन्य आवश्यक राहत उपलब्ध कराने में हरसंभव मदद करें। हर दो घंटे में सूखी खाद्य सामग्री भेजना सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने सामाजिक संगठनों से भी सहयोग की अपील की। मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने अवगत कराया कि ग्वालियर से भोजन के 5 हजार पेकेट श्योपुर भेजे जा रहे हैं।
 
चौहान ने कहा कि जिन जिलों में बिजली की व्यवस्था प्रभावित हुई है, वहाँ आस-पड़ोस के जिलों से सहयोग लेकर व्यवस्था स्थापित की जाए। डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को भी आवश्यकता वाले राहत शिविरों में पहुँचाया जाए। प्रभारी मंत्री इन कार्यों के लिए आवश्यक समन्वय करें।
 
गृह मंत्री मिश्रा ने कहा कि क्षेत्र में बांध टूटने की अफवाहों से लोगों में भय और भगदड़ का माहौल बनता है। अफवाहों पर नियंत्रण करने के लिए आवश्यक उपाय किए जाएं। अफवाह फैलाने वालों पर एफआईआर दर्ज की जाए। मुख्यमंत्री ने कोटा बैराज की स्थिति, बांध से छोड़े जा रहे पानी और उसके भिंड एवं मुरैना में होने वाले संभावित प्रभाव की जानकारी भी ली।
 
वीडियो कांफ्रेंस में श्योपुर कलेक्टर ने बताया कि प्रारंभिक आंकलन के अनुसार 89 ग्राम के  लगभग 19 हजार लोग प्रभावित हुए हैं। अब तक 5 जनहानि की सूचना है। शिवपुरी में 200 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने का कार्य जारी है। दतिया कलेक्टर ने अवगत कराया कि 36 गाँवों के 12 हजार परिवार प्रभावित हुए हैं। जिले में 8 राहत शिविर संचालित हैं। कुल 1165 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है। बचाव कार्य पूरा हो गया है। ग्वालियर में 46 गांव प्रभावित हुए हैं और 7 केम्प में 1500 लोग मौजूद हैं। गुना में 27 और मुरैना में 15 केम्प संचालित हैं। जल-स्तर नीचे उतर रहा है।