Friday, 19 April, 2024
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दिल्ली के बुद्ध जयंती पार्क में जापान के पीएम के साथ पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी, सैर के साथ लस्सी पी और गोलगप्पे भी खाए

Posted at: Mar 20 2023 8:34PM
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जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा इन दिनों भारत दौरे पर हैं।उनके इस दौरे को द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है। ये साल भारत और जापान दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भारत के पास जी-20 की अध्यक्षता है और जापान के पास जी-7 की अध्यक्षता है।इन सब के बीच पीएम नरेंद्र मोदी अपने समकक्ष फुमियो के साथ दिल्ली के बुद्ध जयंती पार्क में सैर करते हुए दिखे।दोनों नेताओं ने पार्क में बाल बोधि वृक्ष के दर्शन किए।इसके बाद जापान के PMफुमियो किशिदा और पीएम मोदी ने यहां गोलगप्पे, लस्सी और आम पन्ना का लुत्फ उठाया। 

इससे पहले पीएम मोदी ने फुमियो किशिदा को ‘कदमवुड जाली बॉक्स’ (कदम्ब की लकड़ी से बना जालीदार बक्सा) में लगी चंदन की बुद्ध की प्रतिमा भेंट की।कलाकृति कर्नाटक की विरासत से जुड़ी हुई है। अधिकारियों ने कहा कि चंदन की नक्काशी की कला एक उत्तम और प्राचीन शिल्प है जो सदियों से दक्षिणी भारतीय राज्य में प्रचलित है और इस शिल्प में सुगंधित चंदन के ब्लॉकों में जटिल डिजाइनों को तराशना, जटिल मूर्तियां, मूर्तियां और अन्य सजावटी सामान बनाना शामिल है.चंदन के पेड़ भारत में पाए जाते हैं और इसकी लकड़ियां सदियों से भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। इसे दुनिया की सबसे मूल्यवान और बेशकीमती लकड़ियों में से एक माना जाता है।

इससे पहले पीएम मोदी और जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने भारत-जापान वैश्विक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने का संकल्प लिया और कहा कि यह शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत के लिए महत्वपूर्ण है।दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-जापान द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की और रक्षा उपकरण और प्रौद्यौगिकी सहयोगा, व्यापार, स्वास्थ्य और डिजिटल साझेदारी पर विचारों का आदान-प्रदान किया.विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि जापान के पीएम फुमियो किशिदा और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात के दौरान दो दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए।इसमें पहले में जापानी भाषा में एमओसी (सहयोग का ज्ञापन) का नवीनीकरण और अनिवार्य रूप से उच्च स्तरीय भाषा सीखने पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।दूसरे समझौते में मुंबई-अमहदाबाद हाई स्पीड रेलवे परियोजना पर 300 बिलियन के जेआईसीए लोन पर नोटों का आदान-प्रदान था।