देश
Posted at: Nov 28 2021 5:26PM
मुंबई। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को मांग की कि केंद्र सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए एक कानून लाए। मुंबई में संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा के बैनर तले आजाद मैदान में 'किसान महापंचायत' में टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब एमएसपी के समर्थक थे और किसानों के हितों की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कानून चाहते थे। टिकैट केंद्र सरकार पर एमएसपी के मुद्दे पर बहस से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार को किसानों को एमएसपी की गारंटी देने के लिए एक कानून लाना चाहिए। कृषि और श्रम क्षेत्रों से जुड़े कई मुद्दे अभी अनछुए हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। हम इन मुद्दों को उजागर करने के लिए पूरे देश में यात्राएं करेंगे। टिकैत ने कृषि कानूनों के विरोध में एक साल तक चले आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता दिए जाने की भी मांग की। इससे पहले अपनी भारी रणनीति के बारे में बताते हुए राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा था कि 29 तारीख के प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च (संसद तक) को हमने स्थगित कर दिया है। आगामी तारीख को संयुक्त किसान मोर्चा की फिर से बैठक होगी और उसमें हम आगे का कार्यक्रम तय करेंगे। सरकार ने अभी तक किसानों की मौत, लखीमपुर खीरी की घटना, MSP के मुद्दे और हम पर हुए मुकदमें पर कोई जवाब नहीं दिया है। हमारी प्राथमिकता है कि MSP पर कानून बने इसलिए हम सरकार से कहना चाहते हैं कि वह हमें MSP पर कानून बनाकर दें।
वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राजवीर सिंह ने कहा था कि संसद कूच करने का कार्यक्रम स्थगित हुआ है खत्म नहीं हुआ है। हम इस पर चार तारीख को फैसला लेंगे। सरकार को किसानों के सारे मुद्दों पर संयुक्त किसान मोर्चा से बात करना होगा और बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के हमारा मोर्चा वापस नहीं होगा। हम सरकार की घोषणाओं से सहमत नहीं हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को कहा था कि तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की घोषणा के बाद मैं समझता हूं कि अब आंदोलन का कोई औचित्य नहीं बनता है, इसलिए मैं किसानों और किसान संगठनों से निवेदन करता हूं कि वे अपना आंदोलन समाप्त कर, अपने-अपने घर लौटें। उन्होंने एलान किया कि किसान संगठनों ने पराली जलाने पर किसानों को दंडनीय अपराध से मुक्त किए जाने की मांग की थी। सरकार ने यह मांग को भी मान लिया है।